नकली उत्पाद पकड़ना अब बेहद आसान...Kanpur IIT के वैज्ञानिकों ने तैयार किया 3डी रैंडम कोड, कुछ इस तरह से होगी पहचान

आधार कार्ड की तकनीक पर कोड करता काम, कई कंपनियों ने शुरू किया इस्तेमाल

नकली उत्पाद पकड़ना अब बेहद आसान...Kanpur IIT के वैज्ञानिकों ने तैयार किया 3डी रैंडम कोड, कुछ इस तरह से होगी पहचान

कानपुर, अमृत विचार। आईआईटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा 3डी रैंडम कोड तैयार किया है, जिससे 5 सेकेंड के भीतर नकली सामान की पहचान हो जाएगी। नकली माल के खिलाफ तमाम अभियान के बाद भी बाजार में धड़ल्ले से नामी-गिरामी कंपनियों के नकली लोगो और बार कोड तैयार कर माल बेचे जाने पर रोक नहीं लग पा रही है। आए दिन छापेमारी में ऐसा माल बरामद होता रहता है। ऐसे में आईआईटी का 3डी रैंडम कोड नकली माल पर नकेल कसने में कारगर सिद्ध हो सकता है।

आईआईटी के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के अंतर्गत रैंडम कोड तैयार करने वाले मैटेरियल साइंस विभाग के प्रो. दीपक ने बताया कि इस कोड को इस्तेमाल करने वाली कंपनी भी चाहे तो दोबारा नहीं बना सकती है। इसकी कॉपी नहीं हो सकती है। यह कोड आधार कार्ड की तरह काम करता है। जैसे फिंगर प्रिंट और आधार नंबर से बैंक में पता चल जाता है कि अमुक आदमी सही है। उसी तर्ज पर यह कोड को तैयार किया गया है। 

इस कोड को बनाने में जिस इंक का प्रयोग किया गया है, वह जैसे ही सूखती है तो उसमें एक दरार सी पड़ जाती है। इस प्रक्रिया में इंक के ऊपर ही इंक चढ़ जाती है, जो 3डी की तरह  प्रिंट हो जाती है। इंक सूखने के बाद जो 3डी प्रिंट होता है, उससे एक नंबर जेनरेट किया जाता है। इस 3डी कोड और नंबर को एक साथ मिलाकर डाटा में सेव किया जाता है। इसके बाद ‘चेको एप’ में सारा डेटा एकत्र हो जाता है। 

इस एप को डाउनलोड करके जैसे ही कोड को स्कैन करते हैं तो उत्पाद की सारी जानकारी सामने आ जाती है। अभी अगर कोई दुकानदार असली बार कोड की फोटो कॉपी और लोगो लगाकर माल बेचता है, तो स्कैन करने पर असली माल की ही जानकारी मिलती है। लेकिन 3डी रैंडम कोड स्कैन करते ही बता देगा कि माल नकली है। प्रो. दीपक का कहना है कि इस कोड का इस्तेमाल कई बड़ी कंपनियां कर रही हैं। ऑनलाइन कंपनियां भी उत्पाद पर इस कोड को लगा रही हैं।

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