तीन निजी अस्पताल संचालकों पर प्राथमिकी : स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा

भर्ती मिली थी प्रसूताएं, नहीं मिला था कोई डॉक्टर

तीन निजी अस्पताल संचालकों पर प्राथमिकी : स्वास्थ्य विभाग की टीम ने छापा मारा

देवा/ बाराबंकी, अमृत विचार । स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा बीते बुधवार को कस्बा देवा में छापेमारी कर तीन अस्पतालों को सीज कर दिया था। जिस क्रम में गुरुवार को चिकित्सा अधीक्षक देवा ने तीनों अस्पताल संचालकों के खिलाफ देवा कोतवाली में अभियोग पंजीकृत कराया है।

जिले के नोडल अधिकारी चिकित्सा एवं पंजीयन डाॅ. राजीव दीक्षित और चिकित्सा अधीक्षक देवा डाॅ. राधेश्याम गोंड के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बीते बुधवार को देवा क्षेत्र में संचालित हो रहे कई निजी अस्पतालों में छापेमारी की थी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पाया कि देवा बाराबंकी मार्ग पर संचालित हो रहे प्रखर हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर, बालाजी अमृता हॉस्पिटल और जीवन ज्योति हॉस्पिटल में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था और यह अस्पताल स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित मानक भी पूरा नहीं कर रहे थे।

जिसके चलते यह तीनों अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सीज कर दिया था। इस दौरान बालाजी अमृता हॉस्पिटल और जीवन ज्योति अस्पताल में एक-एक प्रसूता  डिलीवरी के लिए भर्ती पाई गई। अस्पताल में कोई भी डॉक्टर मौजूद न होने के कारण उनको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवा शिफ्ट कराया गया था। देवा कोतवाल अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि सीएचसी देवा के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राधेश्याम गोंड की तहरीर पर प्रखर हॉस्पिटल एंड सर्जिकल सेंटर के संचालक शशांक सिंह, बालाजी अमृता हॉस्पिटल के संचालक भानु प्रताप सिंह और जीवन ज्योति अस्पताल के संचालक अनिल कुमार के खिलाफ भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।

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