Kanpur: बुनकरों की जिंदगी बदहाल, बच्चे शिक्षा को मोहताज, 10 घंटे काम करने पर मिलती इतनी दिहाड़ी...

Kanpur: बुनकरों की जिंदगी बदहाल, बच्चे शिक्षा को मोहताज, 10 घंटे काम करने पर मिलती इतनी दिहाड़ी...

कानपुर, अमृत विचार। सरकारी योजनाएं बंद होने से बुनकरों की जिंदगी में गरीबी और बेबसी का अंधेरा बढ़ता जा रहा है। तमाम परिवारों में बच्चों की पढ़ाई छूट गई है और वह घर खर्च के लिए छोटा-मोटा काम करने के लिए मजबूर हैं।  

सुजातगंज में करीब 10,000 परिवार पावरलूम और हथकरघा चलाते हैं लेकिन इनको दिन में 10 घंटे काम करने पर 500 रुपये दिहाड़ी नसीब होती है। महंगाई के दौर में इतनी कम आय से बमुश्किल परिवार का पेट ही भर पाता है।
 
बुनकरों का कहना है कि अब उनके पास दरी बनाने का काम ही शेष रह गया है। पहले हथकरघा के कपड़ों और सूत पर सब्सिडी मिलती थी, लेकिन ये छूट सरकार ने खत्म कर दी है। हाथ के बने कपड़ों की प्रदर्शनी में सरकार बुनकरों को 2 प्रतिशत छूट देती थी लेकिन अब तो सूत पर भी जीएसटी देना पड़ रही है।

हथकरघा कपड़ों पर जीएसटी हटाएं, बुनकर आयोग बनाएं 
 
राष्ट्रीय बुनकर समाज के प्रदेश अध्यक्ष असलम अंसारी का कहना है कि घाट से लेकर कब्रिस्तान तक, नेता से लेकर मंत्री तक सब हाथ का बना कपड़ा पहनते हैं, लेकिन हाथ से बनाये जा रहे इन कपड़ों पर भी जीएसटी लगा दी गई है। बुनकरों के लिए सरकारी योजना नहीं है। हथकरघा की दरी, चादरों पर जीएसटी समाप्त की जाए। प्रधानमंत्री श्री विश्वकर्मा योजना से बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराएं। 

यूपी में बुनकर आयोग गठित हो। पावरलूम बुनकरों को पूर्व में मिल रही छूट बहाल हो। कौशल विकास योजना में हथकरघा बुनकरों को प्रशिक्षित कर रोजगार दिया जाए। वर्ष 2013 तक हाथ से बने कपड़ों पर टैक्स नहीं था, फिर वही छूट दी जाए। विद्युत दरें बढ़ाने से बुनकरों का कारोबार चौपट है, विद्युत दरें कम की जाएं।

क्या बोले पीड़ित 

1969 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह ने दरी की बुनाई पर 2 प्रतिशत टैक्स खत्म कर दिया था। 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में टैक्स खत्म किया था, लेकिन अब जीएसटी देना पड़ता है। -मोहम्मद सादिक

बुनकरों के परिवारों की बदहाली देखते हुए उनके बच्चों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था की जाए। सरकार बुनकरों को सस्ते रेट पर सूत उपलब्ध कराए। -मोहम्मद नायाब

सुजातगंज में बेटियों के लिए कोई स्कूल नहीं होने से कई किमी दूर पढ़ाई करने जाना पड़ता है, बुनकरों की आर्थिक हालत ऐसी नहीं है कि वे बच्चों के लिये स्कूली वाहन लगाएं। सुजातगंज में गर्ल्स कालेज खोला जाए। -मोहम्मद जीशान 

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