रणनीतिक कदम

  रणनीतिक कदम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा पर दुनियाभर की नजर है। प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के निमंत्रण पर 23 अगस्त को यूक्रेन का दौरा करने वाले हैं। यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन की यात्रा पर जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा कि वे यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर अपना दृष्टिकोण साझा करने के लिए जेलेंस्की के साथ बातचीत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पीएम की यात्रा उस समय हो रही है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध में नई तेजी आ गई है।

यूक्रेन ने 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से पहली बार रूस पर सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया और उसके सभी ड्रोन नष्ट कर दिए हैं। यह ड्रोन हमला ऐसे वक्त में किया है जब यूक्रेनी बल रूस के पश्चिम कुर्स क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। रूस में घुसपैठ की अपनी आश्चर्यजनक सफलता से यूक्रेन का मनोबल बढ़ा है और इसने युद्ध का स्वरूप ही बदल दिया है। इसलिए आशंका है कि अब रूस खुल कर आसपास के पश्चिमी ठिकानों को भी निशाना बना सकता है।

ऐसा हुआ, तो युद्ध सिर्फ दो देशों तक सिमटा नहीं रह जाएगा। ऐसे में प्रधानमंत्री के यूक्रेन दौरे पर सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इससे नाराज हो सकते हैं। स्वागत योग्य है कि भारत ने यूक्रेन- रूस विवाद पर लगातार अपना रुख बनाए रखा है, मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता को रेखांकित किया है। 

गौरतलब है कि भारत ने रूस से जो रक्षा उपकरण खरीदे हैं, उनमें से बहुत से रक्षा उपकरण यूक्रेन में बनाए गए हैं। इनमें से कई उपकरण ऐसे हैं जिनका अभी भी यूक्रेन में निर्माण होता है। यात्रा के दौरान पीएम मोदी और जेलेंस्की रक्षा, आर्थिक संबंधों और साइंस एंड टेक्नोलॉजी सहयोग पर चर्चा कर सकते हैं। कहा जा सकता है प्रधानमंत्री की यह यात्रा रक्षा उत्पादन क्षेत्र में भारत-यूक्रेन के आपसी सहयोग में एक बड़ा कदम हो सकती है। भारत अपने तटस्थ रुख की वजह से यूक्रेन और रूस दोनों के साथ जुड़ने में सक्षम हुआ है।

इसलिए प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा सिर्फ एक कूटनीतिक जुड़ाव से कहीं ज्यादा एक रणनीतिक कदम है, जो वैश्विक शांति निर्माता के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित करता है। यानि अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखकर वैश्विक प्रभावों से निपटने को शांतिपूर्ण समाधान की तलाश के लिए भारत के सक्रिय रुख को उजागर करती है।

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