Kanpur: मदरसा छात्रों के सरकारी स्कूलों में दाखिले को जमीअत देगा चुनौती...बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में प्रवेश की अनिवार्यता का विरोध
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में प्रवेश की अनिवार्यता का विरोध
कानपुर, अमृत विचार। मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों का सरकारी स्कूलों में दाखिला अनिवार्य किये जाने के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर चुका है। जमीअत ने अपनी बात रखने के लिए मदरसों में छात्र संख्या, पठन-पाठन का स्तर, प्रत्येक विषय पर कितने घंटे उस्ताद को मेहनत करना पड़ती है, जैसे बिंदुओं पर ब्यौरा तैयार किया है।
जमीअत उलमा हिंद के कार्यवाहक महामंत्री एवं शहरकाजी मौलाना हाफिज अब्दुल कुद्द्स हादी ने बताया कि सरकार के सामने जमीअत अपना पक्ष रख चुका है, लेकिन कई जिलों से शिकायत मिल रही है कि मदरसों में जाकर शिक्षा अधिकारी दबाव बना रहे हैं कि बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजा जाए।
इससे मदरसों में चलने वाले कोर्स की पढ़ाई चौपट हो जायेगी। छात्र न तो दीनी और न ही दुनियावी तालीम ले पाएंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि यूपी में ही यह आदेश क्यों लागू किया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
योगी सरकार ने राज्य के सभी सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों के लिए आदेश जारी किया है कि सभी गैर मुस्लिम छात्रों एवं मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में प्रवेश दिया जाए।
तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सभी जिलाधिकारियों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का हवाला देते हुए आदेश दिया था कि सभी मदरसे जो यूपी मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, उनमें पढ़ने वाले सभी बच्चों का परिषदीय स्कूलों में प्रवेश कराया जाए।