Kanpur: हैलट अस्पताल में स्टेम सेल थेरेपी से लौटाई आंखों की रोशनी...कई मेडिकल कॉलेज कर रहे आंखें अंदर धंसने की लाइलाज बीमारी पर शोध, GSVM ने मारी बाजी

22 वर्षीय युवक का हैलट अस्पताल में डॉ परवेज खान ने किया सफल उपचार और आपरेशन

Kanpur: हैलट अस्पताल में स्टेम सेल थेरेपी से लौटाई आंखों की रोशनी...कई मेडिकल कॉलेज कर रहे आंखें अंदर धंसने की लाइलाज बीमारी पर शोध, GSVM ने मारी बाजी

कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने आंखों की लाइलाज बीमारी का इलाज खोज निकाला है। इस बीमारी से पीड़ित युवक की आंखों में स्टेम सेल की मदद से रोशनी लौटा दी है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ के अनुसार इस बीमारी में आंख अंदर की तरफ धंसने से धीरे-धीरे रोशनी चली जाती है। आंखों में पानी बनना बंद हो जाता है। अभी देश भर में इस बीमारी का कहीं भी इलाज नहीं है।  

सिविल लाइंस एफएम कॉलोनी निवासी श्याम बाबू के बेटे अनिकेत (18) को वर्ष 2020 में आंखों में समस्या शुरू हुई थी। उन्होंने शहर के साथ ही लखनऊ, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में डॉक्टरों से परामर्श लिया, लेकिन सफलता नहीं मिलने पर करीब दो साल पहले हैलट अस्पताल पहुंचे।

अनिकेत की आंखों का नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.परवेज खान ने परीक्षण कर इलाज शुरू किया। दवाओं से अधिक फायदा नहीं होने पर डॉ. परवेज ने स्टेम सेल थेरेपी की जानकारी दी। अनिकेत ने पिछले वर्ष अक्टूबर माह में थेरेपी ली।

डॉ. परवेज खान ने बताया कि उसकी आंख काफी अंदर धंसी हुई थी। दिखना भी काफी कम हो गया था। स्टेम सेल थेरेपी से आंखों का प्रेशर शून्य से सीधे आठ तक पहुंचा, जो एक करिश्मा जैसा था। आंखों का प्रेशर वापस लाने के बाद 10 अप्रैल 2024 को आंखों में मोतियाबिंद का जटिल ऑपरेशन कर मरीज को तीन पीस (ग्लूड लेंस) लेंस लगाया गया। इसके बाद मरीज की आंखों की रोशनी लौट आई। 

7 साल की मेहनत रंग लाई 

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.परवेज खान ने बताया कि जब आंखों के पीछे बैलून में पानी आना बंद हो जाता है तो यह बैलून धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। आंख अंदर की ओर धंसने लगती है और रोशनी चली जाती है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के साथ देश के कई मेडिकल कॉलेजों में इस लाइलाज बीमारी के संबंध में शोध किए जा रहे हैं।

जीएसवीएम कॉलेज में 7 साल में हुए शोध के मुताबिक मरीज की आंख में जहां पानी नहीं बन पाता था, उसी जगह पर स्टेम थेरेपी से सेल बनाए गए। सेल बनने पर पानी बनना शुरू हुआ और बैलून फूलने लगा। मरीज की आंखों का प्रेशर भी वापस आ गया और रोशनी आ गई।