Kanpur Dehat: अपहरण में फौजी ढाबा मालिक व कथित पत्नी को 10 साल की सजा, मामले में 15 साल बाद दर्ज हुई थी FIR

Kanpur Dehat: अपहरण में फौजी ढाबा मालिक व कथित पत्नी को 10 साल की सजा, मामले में 15 साल बाद दर्ज हुई थी FIR

कानपुर देहात, अमृत विचार। डेरापुर थाना क्षेत्र के फौजी ढाबा से एक युवक के अपहरण के मामले में अदालत ने फौजी ढाबा के मालिक और उसकी कथित पत्नी को 10 साल की सजा सुनाई है। 15 साल बाद दर्ज हुई एफआईआर के बाद पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके आधार पर अपर जिला जज पंचम ने मंगलवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए दोनों दोषियों को 10-10 साल कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने दोनों पर अर्थदंड भी लगाया है।

सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रदीप पांडेय ने बताया कि अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र के माती किशुनपुर निवासी सूरजदेई ने 2 सितंबर 2018 को रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि उसका पुत्र मनोज डेरापुर थाना क्षेत्र के सेंगुर नदी के पास स्थित फौजी ढाबा के मालिक सुरेश चंद्र यादव के यहां करीब 2000-2001 से गाड़ी चलाता था। इसी बीच मनोज की शादी घाटमपुर क्षेत्र के रंजधामी निवासी सीमा के साथ हुई थी। मनोज फौजी ढाबा में ही पत्नी के साथ रहता था। 

कुछ समय बाद जब पुत्र उससे मिलने गांव आया तो उसने बताया कि पत्नी के संबंध ढाबा मालिक सुरेश चंद्र से हो गए हैं। विरोध करने पर वे लोग धमकी देते हैं। इसके बाद काफी समय तक मनोज उनसे मिलने नहीं आया। वह पता लगाने के लिए 18 दिसंबर 2003 को ढाबा पहुंची, जहां सुरेश ने बताया कि मनोज को काम से दिल्ली भेजा है, जल्द ही आ जाएगा। काफी समय बाद भी जब पुत्र नहीं आया तो वह दोबारा फौजी ढाबा गई, जहां सीमा और सुरेश ने उसके साथ गालीगलौज करते हुए मनोज के इस दुनिया में नहीं होने की बात कही और दोबारा आने पर दूसरे लड़के को भी खत्म करने की धमकी दी। 

पुलिस ने वर्ष 2018 में यह मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की और सीमा व सुरेश चंद्र यादव के खिलाफ मनोज के अपहरण का अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इसकी सुनवाई अपर जिला जज पंचम पूनम सिंह की अदालत में चल रही थी। शनिवार को अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद आरोपी सुरेश चंद्र यादव व सीमा को दोषी करार दिया था। सजा के बिंदु पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुरेश और सीमा को 10-10 साल कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोनों पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की 80 प्रतिशत राशि वादिनी को दिए जाने के आदेश दिए हैं।

ट्रक चालक व खलासी की हत्या में जेल गया था सुरेश

डेरापुर थाना क्षेत्र के बिहार घाट के फौजी ढाभा का मालिक सुरेश यादव को वर्ष 2006 में ढाबा पर रुके ट्रक चालक और खलासी की हत्या कर शव सेंगुर नदी में फेंकने और ट्रक से चाय की पत्ती लूटने के मामले में जेल भेजा गया था।

डेरापुर थाना क्षेत्र के बिहार घाट निवासी स्व. बलवान सिंह यादव के ढाबा पर कब्जा कर सुरेश यादव इस इलाके का नेता बन गया था। सपा सरकार में उसे लोहिया वाहिनी का जिलाध्यक्ष व जिला प्रभारी बनाया गया था। फौजी ढाबा में अपराधिक गतिविधियां संचालित होने की आसपास के गांवों में खूब चर्चाएं होती थीं, लेकिन तब उसके खिलाफ कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था।

फौजी ढाबा मालिक सपा शासन काल में थाने में बैठकर पंचायतें निपटाता था, लेकिन वर्ष 2006 में चाय पत्ती लदा ट्रक लेकर ढाबे में रुके चालक और खलासी की हत्या के मामले में वह पहली बार गिरफ्तार हुआ। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ढाबे पर रुके ट्रक चालक व खलासी को खाने में नशीला पदार्थ मिलाकर बेहोश कर दिया था और फिर दोनों की हत्या कर शवों को सेंगुर नदी में फेंक दिया था। चाय की पत्ती कानपुर नगर में बेची जा रही थी। वहीं से सुराग मिलने पर पुलिस सुरेश और उसके गिरोह तक पहुंची थी। 

सुरेश को जेल भेजने के साथ पुलिस ने उस पर गैगेस्टर की भी कार्रवाई की थी। करीब डेढ़ साल जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर आया। इसके बाद भी उसके अपराधिक कृत्यों पर लगाम नहीं लगी। डेरापुर थाने में उसके खिलाफ एक और ट्रक लूट और हत्या कर साक्ष्य छिपाने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई। इसके बाद करीब तीन अलग-अलग मामलों में वह जेल भेजा गया।

अपराधों से बदनाम हुआ तो ढाबा का बदला नाम

पूर्व सैनिक बलवान सिंह यादव के ढाबे पर कब्जा करने के बाद अपराधिक गतिविधियों से वह बदनाम हुआ तो सुरेश यादव ने गैंगेस्टर के मुकदमे में जेल से बाहर आने के बाद ढाबा का नाम बदल दिया। उसने फौजी ढाबा की जगह ढाबा का नाम मां वैष्णो ढाबा कर लिया था।

हिस्ट्रीशीटर सुरेश पर 19 मुकदमे 

वर्ष 2006 में पहली बार बड़ी आपराधिक वारदात में पकड़े जाने के बाद सुरेश यादव पर अब तक 19 मुकदमे दर्ज हुए हैं। उसकी हिस्ट्रीशीट भी खुली है और गैंगेस्टर की कार्रवाई भी हो चुकी है। ट्रक लूट और हत्या का खुलासा होने के बाद पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। उसके बाद से उस पर मुकदमे दर्ज होते गए। डेरापुर थाने में उसकी हिस्ट्रीशीट एचएच 44ए खुली है। 

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