वायनाड भूस्खलन: विपक्ष मदद के लिए आया आगे, यूडीएफ विधायक मुख्यमंत्री राहत कोष में देंगे एक माह का वेतन
कोच्चि। भूस्खलन से तबाह हुए वायनाड में पुनर्निर्माण कार्यों के लिए केरल सरकार को अपना पूरा सहयोग देते हुए कांग्रेस नीत विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने रविवार को घोषणा की कि उसके सभी विधायक मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष (सीएमडीआरएफ) में एक माह का वेतन देंगे।
विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने रविवार को कहा कि यूडीएफ सभी पुनर्वास प्रयासों में भाग लेगा और जिंदा बचे लोगों के जीवन को पटरी पर लाने की दिशा में काम करेगा। कांग्रेस की 100 मकान बनाने की पेशकश के अलावा यूडीएफ में उसकी बड़ी सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने भी पुनर्वास पैकेज की घोषणा की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस की ओर से 100 मकान बनाये जाने की घोषणा की थी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने भी घोषणा की थी कि विधानसभा और संसद के उसके सदस्य एक महीने की तनख्वाह सीएमडीआरएफ में देंगे। विपक्षी यूडीएफ का यह निर्णय इस मायने में अहम है क्योंकि सीएमडीआरएफ को दान देने के मुद्दे पर कल कांग्रेस में खलबली मच गई थी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कल घोषणा की थी कि वह अपना एक माह का वेतन दान करेंगे, जो उन्हें विधायक के तौर पर मिलता है। इस पर उनके पार्टी सहयोगी और प्रदेश अध्यक्ष के सुधाकरण ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। सुधाकरण ने यह कहते हुए अपनी नाखुशी व्यक्त की थी कि माकपा नीत वाममोर्चा सरकार द्वारा प्रबंधित कोष में पैसे देने की जरूरत नहीं है।
सुधाकरन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ऑनलाइन अभियान चलाकर लोगों को सीएमडीआरएफ में धनराशि भेजने से हतोत्साहित किया जा रहा है। सतीशन ने रविवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि उन लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए जिनका सब कुछ तबाह हो गया और जो अनाथ हो गए हैं।
सतीशन ने कहा, ‘‘इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि जिन लोगों को उनके घरों में वापस भेजा जा रहा है, वे वहां रह पाएंगे या नहीं। सभी के जीवन को पटरी पर लाया जाना चाहिए।’’ कांग्रेस नेता ने सरकार से भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के उपायों पर विचार करने का आग्रह किया। जिला प्रशासन के अनुसार, शनिवार रात तक 219 शव और 143 से अधिक शरीर के अंग बरामद किए गए एवं 206 लोग अभी भी लापता हैं।
सतीशन ने यह भी बताया कि स्थानीय लोगों ने 29 जुलाई को ही शिकायत की थी कि नदी के ऊपरी क्षेत्र में कुछ हुआ था जिसके चलते पानी का रंग बदल गया था। इसी सूचना के आधार पर पंचायत ने बहुत से लोगों को वहां से निकाल लिया था। उन्होंने कहा कि हमें इस प्रकार के पारंपरिक ज्ञान को भी आधुनिक तकनीक में शामिल किए जाने की जरूरत है।
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