Kanpur: लेदर क्लस्टर बचाने के लिए नहीं रद होगा भूमि का बैनामा; बिना अनुमति खरीदी गई थी दलितों की भूमि

परियोजना को और लेट होने से बचाने के लिए रास्ता निकाल रहे हैं अधिकारी

Kanpur: लेदर क्लस्टर बचाने के लिए नहीं रद होगा भूमि का बैनामा; बिना अनुमति खरीदी गई थी दलितों की भूमि

कानपुर, अमृत विचार। मेगा लेदर क्लस्टर के लिए खरीदी गई भूमि के विनिमय में सामने आई गड़बड़ी को दूर करने के लिए बीच का रास्ता निकालने की तैयारी है। ऐसा इसलिए होगा ताकि पहले से ही लेट हो रही परियोजना में कोई बाधा उत्पन्न न हो। इसीलिए बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के अनुसूचित जाति के जिन 13 किसानों की भूमि का बैनामा मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड ने कराया था, अब उन बैनामों को रद न करना पड़े, इस संबंध में तैयारी की जा रही है। 

इसके लिए जिला प्रशासन ने शासन से दिशा निर्देश मांगे हैं। इसी तरह सपई और कड़रीचंपतपुर उन नौ पट्टाधारक किसानों की भूमि भी कंपनी के नाम करने की तैयारी है जो अभी राजस्व अभिलेखों में असंक्रमणीय खातेदार के रूप में किसानों के नाम दर्ज है। मामला उन भूखंडों का फंस रहा जिसकी रजिस्ट्री उन किसानों ने कर दी जिन्हें पूर्व में पट्टे पर भूमि दी गई थी बाद में पट्टा आवंटन रद कर दिया गया था। इस भूमि को कंपनी के नाम किसी भी स्थिति में दाखिल खारिज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में उक्त भूखंडों का बैनामा रद किया जाएगा।  

कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है। यहां 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की है जिसके बदले में कंपनी को इतनी ही भूमि राजस्व विभाग को देनी है। इसीलिए सपई, कड़री चंपतपुर गांव में भूमि का क्रय कंपनी ने किया है। लेकिन भूमि की अदला- बदली से पहले ही दाखिल खारिज के समय ही कई अनियमितताएं सामने आईं जिससे एक्सचेंज की प्रक्रिया थम गई।  

परियोजना मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले कार्यों की सूची में है। ऐसे में अब प्रशासन की कोशिश है कि जो बाधाओं को दूर किया जाए।  नियम है कि बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के अनुसूचित जाति का कोई भी किसान या व्यक्ति अपनी भूमि किसी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को नहीं बेच सकता, लेकिन सपई गांव के अनुसूचित जाति के 13 किसानों ने नियम विरुद्ध 7.8610 हेक्टेयर भूमि का बैनामा किया है। 

यदि बैनामा रद होगा तो कंपनी को राजस्व की हानि होगी और नए सिरे से भूमि खरीदने में समय लगेगा। इससे क्लस्टर के विकास में भी देरी होगी।  बैनामा रद न हो इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाए इस पर शासन स्तर पर मंथन चल रहा है।  कड़री चंपतपुर के पांच किसानों की 2.1877 हेक्टेयर भूमि व सपई गांव के चार किसानों की 0.8200 हेक्टेयर भूमि के अभिलेख गायब हैं। इन किसानों का नाम पट्टाधारक के रूप में राजस्व अभिलेखों में असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में दर्ज है। इसका दाखिल खारिज कैसे किया जाए इसका भी रास्ता निकाला जा रहा है।

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