कासगंज: अस्पताल में अव्यवस्था का आलम, अंदर छात्रों का हो रहा था उपचार, बाहर तड़प रहे थे बीमार

कासगंज: अस्पताल में अव्यवस्था का आलम, अंदर छात्रों का हो रहा था उपचार, बाहर तड़प रहे थे बीमार

कासगंज,अमृत विचार। आपातकालीन कक्ष के बेड भरे हुए थे। एक-एक बेड पर कई कई विद्यार्थी थे। बेड का अभाव दिखाई दिया, तो अन्य बीमारों को उपचार नहीं मिल सका। उल्टी, दस्त, बुखार की शिकायत लेकर इमरजेंसी में पहुंचे मरीजों को उपचार के लिए प्रवेश नहीं मिला। उनके तीमारदार उनकी देखरेख  इमरजेंसी कक्ष के बाहर ही करते रहे। इन अव्यवस्थाओं को लेकर तीमारदारों ने आक्रोश जताया, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन जागा और मरीजों का इलाज शुरू हुआ। हालांकि अस्पताल प्रशासन की यह कोशिश मरीजों के लिए महज औपचारिकता ही साबित हो रही थी।

कस्बा मोहनपुर से आई मानवती रही हों या गोरहा गांव के प्रकाश। ओपीडी के बाद उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्हें मजबूरन इमरजेंसी में भेजा गया, लेकिन इमरजेंसी फुल थी। इन मरीजों को इमरजेंसी वार्ड तक नहीं पहुंचने दिया गया। कहा गया कि अभी विद्यार्थियों का उपचार चल रहा है। इसलिए आपातकालीन कक्ष के बाहर इंतजार करें। दर्द से यह मरीज कराह रहे थे और चिकित्सक के बुलावे का इंतजार कर रहे थे। धीमे-धीमे उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी। तीमारदारों में आक्रोश बढ़ता गया तो फिर आपातकालीन कक्ष के चिकित्सक और चिकित्साकर्मी गंभीर दिखाई दिए और उपचार के लिए मरीजों को आपातकालीन कक्ष तक ले गए। यहां औपचारिकता का उपचार कर दवा देकर उन्हें वापस भेज दिया गया। जिला चिकित्सालय में पर्याप्त इंतजाम दिखाई नहीं दे रहे थे, जबकि जिस आपातकालीन कक्ष के बाहर मरीज दर्द से कराह रहे थे वहां चिकित्सा कर्मियों का लगातार आना-जाना हो रहा था,लेकिन किसी ने इस तरफ ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।

अफसर भी बने अनजान

जहां मरीज को लेकर तीमारदार चिकित्सकों के बुलावे का इंतजार कर रहे थे, उसी रास्ते से अधिकारियों का गुजरना हो रहा था, लेकिन अधिकारियों ने भी इन मरीजों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों को कोई दिशा निर्देश नहीं दिए।

वर्जन 

कौन मरीज आए, इसकी जानकारी तो तभी हो सकती थी जब मरीज के तीमारदार आपातकालीन कक्ष के चिकित्सक से मिलते। हो सकता है कि तीमारदार अंदर पहुंचे ही न हों। जैसे ही पता चला कि इमरजेंसी कक्ष के बाहर कुछ मरीज हैं तो तत्काल चिकित्सा कर्मियों को भेजा गया और चिकित्सकों ने उनका उपचार किया।

डॉ. संजीव सक्सेना, सीएमएस

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