बाराबंकी: कोचिंगों की भरमार, मानक दरकिनार, बच्चे असुरक्षित

बाराबंकी: कोचिंगों की भरमार, मानक दरकिनार, बच्चे असुरक्षित

रीतेश श्रीवास्तव/ बाराबंकी, अमृत विचार। देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दिनों एक कोचिंग के बेसमेंट में पानी भरने से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की दर्दनाक मौत हो गई थी। जांच में पता चला था कि यह कोचिंग भूमिगत और संकरी गलियों में संचालित हो रही थी। कुछ ऐसा ही हाल इस जिले में भी है। 

बिना मानक पूरा किए एक नहीं दर्जनों की संख्या में शहर से लेकर तहसील और ब्लॉक स्तर तक कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। इन सेंटरों पर शायद ही कभी माध्यमिक शिक्षा विभाग की नजर पड़ती हो। ऐसे में यहां पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। हालत तो ऐसी है कि घर के एक कमरें में कोचिंग का नाम देकर क्षमता से अधिक बच्चों को शिक्षित करने का धंधा चलाया जा रहा है। 

जिले में भूमिगत और संकरी गलियों में मानक विहीन कोचिंग संचालित हो रही हैं। इनमें प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ हाईस्कूल, इंटरमीडिएट में सफलता का वायदा कर अभिभावकों की जेब खाली की जा रही है। सेंटरों में शासन के मानकों का भी पालन नहीं किया जा रहा। 

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में सिर्फ जिले के 71 कोचिंग सेंटरों का पंजीयन है। इनमें अकेले शहर में ही 25 से 30 की संख्या में पंजीकृत कोचिंग होने की बात भी विभाग कह रहा है। जबकि हकीकत यह है कि शहर में पचास से अधिक कोचिंग सेंटर चल रहे हैं। वहीं जिले के अन्य क्षेत्रों में मानक के विपरीत कोचिंग सेंटरों की संख्या दो सौ से अधिक हैं। 

आलम यह है कि यह कोचिंग सेंटर एक-एक कमरों में चल रहा है। जिसमें शिफ्टवार बच्चों को बुलाकर शिक्षा दी जा रही है। बच्चों की सुरक्षा के नाम पर इन कोचिंग सेंटरों में कोई भी सुविधा नहीं है। न सही पार्किंग है न बैठने का स्थान और न ही अग्निशमन यंत्र आदि ही लगे हुए हैं। बिजली, शौचालय आदि की समुचित व्यवस्था नहीं है। प्राथमिक उपचार के नाम पर सेंटर पर मलहम पट्टी तक नहीं हैं। ऐसे में किसी प्रकार की अनहोनी एक बड़ा रुप ले सकती है। दिल्ली शहर में हुए घटना इसका साक्षात प्रमाण है। जिनमें तीन छात्राओं की जान चली गई।

डेढ़ दर्जन के खिलाफ कार्रवाई का दावा

जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की मानें तो पिछले छह माह के अंदर कोचिंग सेंटरों की जांच की गई है। मानक पर खरा न उतरने वाले करीब डेढ़ दर्जन कोचिंग सेंटरों के संचालकों पर कार्रवाई करते हुए सेंटर बंद भी कराए गए हैं। इसके बाद भी धड़ल्ले से एक नई कोचिंग शुरु हो जा रही है। जहां पर मोटी रकम देकर बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए शिक्षा देने का धंधा चलाया जा रहा है। कार्रवाई का दावा कहां तक सही है यह तो विभागीय अधिकारी ही जान सकते हैं।

अब चलेगा अभियान, एक लाख जुर्माना

दिल्ली की घटना के बाद बताया जा रहा है कि कोई नई गाइडलाइन माध्यमिक शिक्षा विभाग को मिली है। इस गाइड लाइन के आधार पर अब कोचिंग सेंटरों की जांच शुरु करने की तैयारी चल रही है। गाइडलाइन के आधार पर मानक पूरा न करने वाले संचालकों पर एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। इसे लेकर टीमों का गठन होगा। जिसमें एक साथ कोचिंग सेंटरों पर छापेमारी की जाएगी। सूत्रों की मानें तो इसी माह यह अभियान चल सकता है।

यह हैं कोचिंग संचालन के मानक

कोचिंग का छात्र संख्या के आधार पर पंजीयन।
कोचिंन पढ़ाने वाले शिक्षक प्रशिक्षित व विषय विशेषज्ञ होना चाहिए।
छात्रों की संख्या के आधार पर कमरों में बैठने की व्यवस्था।
सेंटर में अग्नि सुरक्षा व प्राथमिक चिकित्सा आदि की पर्याप्त व्यवस्था।

वर्जन--
विभाग में 71 कोचिंग सेंटरों का पंजीकरण है। लेकिन जिले भर में इससे अधिक कोचिंग सेंटरों के चलने से इंकार नहीं किया जा सकता है। गाइड लाइन मिली है। जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। मानक पूरा न करने वाले कोचिंग सेंटर के संचालक पर एक लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा...,ओपी त्रिपाठी, जिला विद्यालय निरीक्षक।

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