'वायनाड की जनता के साथ सरकार चट्टान की तरह खड़ी, आपदा प्रबंधन पर इसी सत्र में आएगा विधेयक', संसद में बोले अमित शाह 

'वायनाड की जनता के साथ सरकार चट्टान की तरह खड़ी, आपदा प्रबंधन पर इसी सत्र में आएगा विधेयक', संसद में बोले अमित शाह 

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि यह समय केरल के वायनाड की जनता के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने का है, इसके लिए मोदी सरकार प्रतिबद्ध है तथा राहत, बचाव एवं पुनर्वास के लिए हर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। शाह ने सदन को यह भी अवगत कराया कि वह आपदा प्रबंधन पर इसी सत्र में एक विधेयक लाएंगे।

उन्होंने प्राकृतिक आपदा पर सदन में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भले ही भारत सरकार हो या कोई राजनीतिक दल, (सभी के लिए) आपदा का यह वक्त वायनाड के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने का है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस दुखद आपदा में जिन लोगों ने अपने स्वजन गंवाए या जो घायल हुए हैं, उनके प्रति गहरी संवेदनाएं हैं। 

उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे आधुनिक ‘‘समय-पूर्व चेतावनी प्रणाली’’ मौजूद है और 2014 के बाद भारत उन तीन-चार देशों में से एक है, जो आपदा से सात दिन पहले ही पूर्वानुमान साझा करते हैं एवं इस प्रणाली पर कुल 2300 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। शाह ने कहा कि वर्ष 2014 के पहले आपदा के समय सिर्फ बचाव और पुनर्वास होता था, लेकिन मोदी सरकार के समय में इस तरह से बचाव कार्य करने पर ध्यान दिया गया है कि किसी की जान न जाए और नुकसान कम से कम हो। 

उन्होंने कहा कि संबंधित तकनीक को विकसित करना और उसमें सुधार लाना केंद्र सरकार का काम है, लेकिन सहकारी संघवाद के तहत लोगों को हटाने का काम तो राज्य सरकार का है। शाह ने कहा कि केरल में भारी बारिश की चेतावनी राज्य सरकार को वायनाड में हुए घातक भूस्खलन से कम से कम एक सप्ताह पहले ही दे दी गई थी। इस भूस्खलन से मौत और तबाही का मंजर देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने 23 जुलाई को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की आठ टीमों को केरल सरकार को किसी भी आपदा की स्थिति में सहायता के लिए भेजा था। 

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘जब वायनाड में भूस्खलन हुआ, तो एनडीआरएफ की टीमों को कलेक्टर से हरी झंडी मिल गई और तुरंत राहत अभियान शुरू कर दिया गया।’’ उन्होंने कहा कि राहत और बचाव कार्यों में शामिल सभी बलों को तैनात किया गया है, जिसमें सेना, वायु सेना और यहां तक ​​कि क्षेत्र में तैनात सीआईएसएफ की एक छोटी इकाई भी शामिल है। शाह ने कहा कि करीब छह साल पहले आईआईटी-दिल्ली के विशेषज्ञों ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को दूसरी जगह बसाने का सुझाव दिया था, लेकिन इस सलाह पर ध्यान नहीं दिया गया।

 उन्होंने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही संभावित आपदाओं से निपटने और जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए बचाव कार्य के अलावा अग्रिम तैयारी पर जोर दिया जा रहा है। शाह ने कहा, ‘‘18 जुलाई को पूर्वानुमान था कि केरल के पश्चिमी तट पर सामान्य से अधिक बारिश होगी, जबकि 25 जुलाई को पूर्वानुमान था कि भारी बारिश होगी। 23 जुलाई को ही एनडीआरएफ की आठ टीम क्षेत्र में भेज दी गई थीं।’’ मंत्री ने कहा कि सरकार केरल की जनता को आश्वस्त करना चाहती है कि वह उन्हें (जनता को) किसी भी मुसीबत में अकेला नहीं छोड़ेगी। 

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