Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर विवाद: भूमि के आवंटन के अभिलेख भी गायब, फंसा दाखिल-खारिज, किसानों ने पट्टे की भूमि का किया है बैनामा

Exclusive: मेगा लेदर क्लस्टर विवाद: भूमि के आवंटन के अभिलेख भी गायब, फंसा दाखिल-खारिज, किसानों ने पट्टे की भूमि का किया है बैनामा

कानपुर, शिव प्रकाश मिश्र। मेगा लेदर क्लस्टर के लिए खरीदी गई भूमि के विनिमय में अब एक और पेच सामने आया है। मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड ने कड़रीचंपतपुर और सपई गांव के नौ ऐसे किसानों की भूमि खरीद ली जिन्हें पट्टे पर भूमि का आवंटन हुआ था। यह भूमि अब भी राजस्व अभिलेखों में असंक्रमणीय खातेदार के रूप में किसानों के नाम दर्ज हैं। 

भूमि के पट्टे पर आवंटन संबंधी पत्रावली भी राजस्व अभिलेखागार में उपलब्ध नहीं है ऐसे में भूमि का दाखिल खारिज फंस गया है। यह भूमि कंपनी के नाम खतौनी में दर्ज नहीं हो पा रही है। ऐसे में कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा गांव की सुरक्षित श्रेणी की भूमि से इस भूमि का विनिमय होना मुश्किल है। 

भूमि के बैनामे में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अब पट्टाधारकों से संबंधी अभिलेख राजस्व अभिलेखागार में न होने का मामला सामने आने के बाद कंपनी के अधिकारी परेशान हैं। एक के बाद एक समस्या सामने आने से मेगा लेदर क्लस्टर को धरातल पर उतारने की राह में कांटे ही कांटे नजर आ रहे हैं। सपई गांव के 15 किसानों ने कंपनी को ग्राम समाज के साथ ही ऊसर, बंजर, जलौनी लकड़ी के लिए आरक्षित 9.9180 हेक्टेयर भूमि का बैनामा किया है। 

ये पूरी की पूरी भूमि जल्द ही राजस्व अभिलेखों में ग्राम समाज के नाम दर्ज हो जाएगी और उनका स्वरूप पुन: ऊसर, बंजर, जलौनी की लकड़ी के रूप में मान लिया जाएगा। ऐसे कंपनी को इस फर्जीवाड़े से करोड़ों का नुकसान तो हुआ ही था अब नौ और किसानों की भूमि के पट्टाभिलेख न मिलने से उनकी मुश्किल बढ़ी है। कड़री चंपतपुर के पांच किसानों की 2.1877 हेक्टेयर भूमि व सपई गांव के चार किसानों की 0.8200 हेक्टेयर भूमि के अभिलेख गायब हैं। 

इन किसानों की भूमि के अभिलेख गायब

कड़री चंपतपुर के श्यामबाबू, बीनू, श्रीराम, उमा देवी, रामकुमार के अभिलेख नहीं मिल रहे हैं। इसी तरह सपई गांव के राजेंद्र, सुमित कुमार, राजपति कठेरिया और रमाकांती की भूमि का अभिलेख भी गायब हैं।

किसानों ने नियम विरुद्ध किया बैनामा

सपई गांव के अनुसूचित जाति के 13 किसानों ने नियम विरुद्ध भूमि का बैनामा किया है। नियम के मुताबिक उन्हें भूमि का बैनामा करने से पहले जिलाधिकारी अथवा सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी चाहिए थी। इन किसानों से कंपनी ने 7.8610 हेक्टेयर भूमि का बैनामा कराया है। उप्र राजस्व संहिता 2006 की धारा- 98 (1) के तहत सक्षम अधिकारी से अनुमति के बाद ही कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति किसी गैर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को भूमि बेच सकता है। 

ऐसे में उनके द्वारा कंपनी को किया गया बैनामा रद हो जाएगा और भूमि राजस्व अभिलेखों में राजस्व विभाग के नाम दर्ज हो जाएगी। इस संहिता के अनुसार अनुसूचित जाति के व्यक्ति यदि किसी गैर जनपद या राज्य में निवास करने लगा हो, बीमारी के इलाज के लिए या बिटिया की शादी के लिए और उतनी भूमि बेचकर कहीं और भूमि खरीदना चाहता है तभी उसे सक्षम अधिकारी अनुमति देते हैं। 

इसीलिए कंपनी ने खरीदी भूमि

कुरौना बहादुर नगर, मगरासा और सेन पूरब पारा में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है। यहां 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की है जिसके बदले में कंपनी को इतनी ही भूमि राजस्व विभाग को देनी है। इसीलिए सपई, कड़री चंपतपुर आदि गांव में भूमि का क्रय कंपनी ने किया है। लेकिन भूमि की अदला- बदली से पहले ही यह खेल पकड़ में आ गया।

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