हल्द्वानी: गजब सिरदर्द है भाई...ऑनलाइन चालान कटने के बाद Online जमा नहीं हो पाता...

हल्द्वानी, अमृत विचार। परिवहन विभाग, पुलिस और सीपीयू अब ऑनलाइन चालान काटने लगे हैं। यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कब व्यक्ति का चालान कट जाता है उसे पता ही नहीं चलता। देखा जाए तो नियमों का पालन करवाने के लिए यह व्यवस्था अच्छी है, लेकिन जब चालान भरने के लिए लोग ऑनलाइन प्रयास करते हैं तो उन्हें परेशानी उठानी पड़ती है। थक हारकर उन्हें दलालों से संपर्क कर चालान भरना पड़ता है।
ऑनलाइन चालान कटने के बाद व्यक्ति के वाहन रजिस्ट्रेशन में दिए गए मोबाइल नंबर पर सूचना भेजी जाती है। जिससे उसे पता चलता है कि उसका चालान कट गया है। इस चालान को ऑनलाइन ही भरा जा सकता है। चालान को भरने के लिए उत्तराखंड परिवहन विभाग की वेबसाइट पर जाना पड़ता है।
साथ ही चालान को भरने के लिए उत्तराखंड परिवहन विभाग का एक ऐप भी है, लेकिन दिक्कत यह है कि वेबसाइट और ऐप के माध्यम से आम व्यक्ति को चालान भरने में दिक्कत होती है। काफी कोशिशों के बाद भी न तो वेबसाइट सही तरह से काम करती है और न ही ऐप। बाद में मजबूरी में लोगों को दलालों से संपर्क करना पड़ता है, जो 100 से 200 रुपये अतिरिक्त लेने के बाद चालान शुल्क भरते हैं।
सीएससी वाले काट रहे मौज, वसूले जा रहे 100 से 200 रुपये
परिवहन विभाग की वेबसाइट https://echallan.parivahan.gov.in पर अगर आप खुद से अपने मोबाइल या सिस्टम से चालान की राशि अदा करने की सोचेंगे तो वह प्रोसेस ही नहीं होगा। कुछ तकनीकि खामी ऐसी हैं कि ओटीपी आने के बाद यदि बिल प्रोसेस के माध्यम से भुगतान पेज में जाएगा तो सारी जानकारी अपलोड करने के बाद आपका निवदेन रद हो जाएगा। फिर पेमेंट होल्ड में दिखाता है। जबकि वही पेमेंट अगर सीएससी सेंटर से करवाएंगे तो यहां ग्राहक से 100 से 200 रुपये तक वसूल लिए जाते हैं।
प्राइवेट एप देती हैं पूरी डिटेल पर पेमेंट नहीं होता सफल
परिवहन विभाग की साइट पर न जाकर आप यदि प्राइवेट एप के माध्यम से चालान जमा कराते हैं तो इनमें पार्क प्लस, कार इंफो जैसी कुछ एप हैं जो अतिरिक्त शुल्क लेते हैं और उसे अपने पेज में दिखाते भी हैं। मगर जैसे ही चालान की डिटेल आपको नजर आएगी और पेमेंट के लिए क्लिक करेंगे तो यहां भी पेमेंट गेटवे डिक्लाइन हो जाता है।
केस एक
गौलापार खेड़ा निवासी डिंपी ने बताया कि उसकी स्कूटी का चालान कट गया था। चालान की जानकारी मोबाइल पर आई। चालान को परिवहन विभाग की वेबसाइट और ऐप से भरने की कोशिश की, लेकिन चालान नहीं भरा। बाद में एक एजेंट से संपर्क किया और अतिरिक्त धनराशि देने के बाद ही चालान भर पाया।
केस दो
गोरापड़ाव निवासी मुकेश ने बताया कि जब उसे पता चला कि उसका चालान कट गया है तब उसने चालान को ऑनलाइन भरने की कोशिश की, लेकिन चालान जमा नहीं हुआ। आरटीओ कार्यालय जाकर संपर्क किया तो पता चला कि चालान को ऑनलाइन ही भरना होगा। बाद में चालान को एजेंट के माध्यम से जमा करवाया।
ऑनलाइन चालान भरने में दिक्कत की सूचना है। हालांकि सभी मामलों में ऐसा नहीं होता है। फिर भी इसको दिखवाया जाएगा।
- संदीप सैनी, आरटीओ हल्द्वानी