शाहजहांपुर: बाढ़ से तबाही थमी पर मुसीबतें बरकरार, कई क्षेत्रों में अभी भी कमर तक भरा पानी 

Amrit Vichar Network
Published By Vivek Sagar
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शाहजहांपुर, अमृत विचार। जिले में शनिवार को बाढ़ से तबाही काफी हद तक थम गई, लेकिन मुसीबतें अब भी बरकरार हैं। कांशीराम कालोनी, सुभाषनगर और ककरा क्षेत्र में कमर तक पानी भरा हुआ है। जिससे हजारों लोग घरों की छतों पर फंसे हुए हैं। 500 लोग राहत शिविरों में शरण लिए हैं।

हजारों लोग बेघर होकर रिश्तेदार और जान-पहचान वालों के यहां रह रहे हैं। एक ओर लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर सोमवार को आवागमन शुरू हो गया और दूसरी ओर कानपुर-बरेली हाईवे की दिशा में रामगंगा ने कटान शुरू कर दिया है। जिससे हाईवे रामगंगा के निशाने पर आता दिखाई दे रहा है।

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10 जुलाई की सुबह लगभग चार बजे महानगर में बाढ़ का तांडव शुरू हुआ था। खन्नौत नदी का पानी शहर के पूर्वी छोर पर बसीं 20 से ज्यादा कालोनी में घुस गया और मोहल्ले जलमग्न हो गए। महानगर के गली मोहल्लों में नाव चलाकर लोगों को निकाला गया। इसके साथ ही पुवायां, बंडा सहित जिले के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे।

किसी तरह खन्नौत नदी का पानी 11 जुलाई को कम हुआ, लेकिन 11 जुलाई को ही गर्रा ने तबाही मचानी शुरू कर दी। महानगर के पश्चिमी कोने पर स्थित गर्रा नदी ने भी 20 से ज्यादा मोहल्ले जलमग्न कर दिए। हजारों लोग बाढ़ में फंस गए। कुछ लोगों को राहत कर्मियों ने बाहर निकाल लिया, जबकि कुछ लोगों ने जान बचाने के लिए छतों पर शरण ली।

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हालत यह हो गई कि बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को लगाना पड़ा। इसके बाद भी तमाम लोग अब भी बाढ़ में फंसे हुए हैं। दूसरी ओर महानगर की 20 से ज्यादा कालोनी में पानी आधे फुट से भी कम रह गया है। ऐसे में यहां लोग लौटने लगे हैं, लेकिन बाढ़ से घरों का सामान बर्बाद हो गया है। ऐसे में दोबारा से परिवार को बसाने जैसी नौबत है। पानी में घरों का ज्यादातर सामान खराब हो चुका है।

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लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर यातायात शनिवार को सुचारू हो गया।

 

शनिवार को सुबह से गर्रा और खन्नौत का जलस्तर घटने लगा, लेकिन अभी भी दोनों नदियां उफान पर बह रही हैं। बाढ़ के कारण हजारों लोग घरों से पलायन कर चुके हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज में जलभराव के चलते स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बहाल होने में अभी काफी वक्त लग सकता है।

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