Exclusive: जीआईएस सर्वे से पहले जनता थी परेशान, अब नगर निगम हैरान; सामने आया गड़बड़झाला, आंकड़ों में मिला खामियों का अंबार

Exclusive: जीआईएस सर्वे से पहले जनता थी परेशान, अब नगर निगम हैरान; सामने आया गड़बड़झाला, आंकड़ों में मिला खामियों का अंबार

कानपुर, अभिषेक वर्मा। शहर में नए सिरे से गृहकर लगाने के लिए हुए जीआइएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) सर्वे को लेकर जहां जनता हैरान और परेशान है, वहीं अब नगर निगम के अधिकारियों ने भी माथा पकड़ लिया है। सर्वे में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। सर्वे करने वाली संस्था ने नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए 2,71,751 नई संपत्तियां खोजने के साथ ही निगम सीमा में कुल 6,24,386 संपत्तियां चिह्नित की हैं। 

लेकिन पड़ताल में सामने आया कि इन 2,71,751 नई संपत्तियों में लगभग 50 प्रतिशत संपत्तियां नगर निगम के अभिलेखों में पहले से दर्ज हैं, और उनसे गृहकर की वसूली भी हो रही है। नगर निगम के सॉफ्टवेयर में सर्वे से पहले 3,52,635 संपत्तियां दर्ज थीं। सर्वे और भौतिक सत्यापन के बाद संपत्तियों की संख्या बढ़कर 4,48,000 हो गई है। इस हिसाब से संस्था के सर्वे और नगर निगम के सॉफ्टवेयर में 1,76,386 संपत्तियों का अंतर है, जिनका कोई ब्यौरा सर्वे करने वाली कंपनी ने नहीं उपलब्ध कराया है।  
 
जीआईएस सर्वे की गड़बड़ियों का अंत होता नहीं नजर आ रहा है। सर्वे करने वाली संस्था आईटीआई लिमिटेड के आंकड़ों में अपर नगर आयुक्त तृतीय अमित कुमार भारतीय ने बड़ा गड़बड़झाला पकड़ा है। संस्था की ओर से खोजी गई ढाई लाख से अधिक नई संपत्तियों की जांच में आधी पहले से ही नगर निगम के पोर्टल पर दर्ज मिली हैं। कुल संपत्तियों में भी 1,76,386 का अंतर मिला है। इसी के बाद नगर निगम ने कंपनी को फिर से संपत्तियों का मिलान करने के निर्देश जारी किए हैं। 

जीआईएस सर्वे शासन से नामित संस्था ने गृहकर मद में नगर निगम की आय बढ़ाने के लिए किया है। सर्वे के दौरान निगम ने जोनवार अफसरों को लगाया था, ताकि एक-एक संपत्ति का निरीक्षण के साथ सत्यापन हो सके। इसके साथ ही आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों का भी मिलान हो सके। संस्था ने 26 जून को जानकारी उपलब्ध कराई कि नगर निगम क्षेत्र में कुल 2,13,960 संपतियों का मिलान हो गया है। 67,730 संपत्तियों का मिलान नहीं हो सकता है। सर्वे में 70,945 प्लॉट्स भी सामने आए हैं। 

नए सिरे से सर्वे के आदेश, शासन को दी गई जानकारी 

अपर नगर आयुक्त का कहना है कि मिलान के बाद नगर निगम के साफ्टवेयर में 4,48,000 संपत्तियां ही प्रदर्शित हो रही हैं। इस तरह 1,76,386 संपत्तियों का अन्तर है। इसके साथ ही 2,71,751 नई संपत्तियों के दावे में लगभग 50 प्रतिशत नगर निगम के अभिलेखों में पूर्व से दर्ज हैं, और उनसे गृहकर वसूली हो रही है। ऐसे में संस्था को नए सिरे से जांच कर सही आंकड़े देने के निर्देश दिए गए हैं, प्रकरण की शासन को भी जानकारी दी गई है।

50 फीसदी तक वृद्धि, आवासीय में भेजे व्यावसायिक कर के बिल 

जीआईएस सर्वे में लापरवाही से लोगों का कर निर्धारण गलत हो गया है। शहर में लोग बढ़े गृहकर बिलों से परेशान हैं। आवासीय में व्यावसायिक कर वसूलने के नये बिल जेनरेट हो गये हैं। जो लोग बिल जमा कर चुके हैं, उनको फिर से नये सर्वे के अनुसार बिल भेजे जा रहे हैं। कई लोगों के गृहकर बिलों में तो 50 फीसदी तक वृद्धि कर दी गई है। लोग समस्या लेकर जोनल कार्यालयों में भटक रहे हैं। नगर निगम अधिकारी संशोधन नहीं कर रहे हैं। इससे रोष बढ़ता जा रहा है।  

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