कासगंज: घरेलू कुकिंग गैस सिलेंडरों का हो रहा व्यापारिक प्रयोग, जानकर भी अंजान बने हुए हैं जिम्मेदार अधिकारी 

कासगंज: घरेलू कुकिंग गैस सिलेंडरों का हो रहा व्यापारिक प्रयोग, जानकर भी अंजान बने हुए हैं जिम्मेदार अधिकारी 

कासगंज, अमृत विचार। घरेहू कुकिंग गैस सिलेंडरों का जिले भर में व्यवसायिक प्रयोग हो रहा है। जिम्मेदार आपूर्ति विभाग आंखे मूदे बैठा है। इनके विरुद्ध कभी कोई अभियान नहीं चलाया जाता। शहर और कस्बों में पकौड़े और सामोसे वालों से लेकर बड़े होटल और हलवाई भी इन सिलेंडरों का प्रयोग कर रहे हैं। इसी के साथ साथ गैस रिफलिंग का कारोबार भी जोरों पर चल रहा है। 

घरेलू सिलेंडरों के कॉमर्शियल के प्रयोग एडीजी के प्रावधानों के विरुद्ध है। इसमें जर्माने का प्रावधान है, लेकिन जिले में शहर से लेकर कस्बों तक कॉमर्शियल सिलेंडरों के बजाए घरेलू कुकिंग सिलेंडर का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। घरेलू सिलेंडरों की कीमतों के सापेक्ष व्यवसायिक सिलेंडरों की कीमतें ऊंची होती है।

कीमतों के अंतर के चलते अधिकांशत: दुकानदार होटल स्वामी और हलवाई वितरक कंपनियों की सांठगांठ के चलते व्यवसायिक सिलेंडरों की बजाए घरेलू सिलेंडरों का उपयोग करते हैं। जबकि इसकी रोकथाम का जिम्मा खाद्य आपूर्ति विभाग का है, लेकिन यह विभाग आंखे मूदे बैठा रहता है। यही कारण है कि घरेलू सिलेंडरों का कॉमर्शिलय में प्रयोग हो रहा है। 

कभी भी नहीं चला इनके विरुद्ध अभियान 
व्यवसायिक सिलेंडरों के स्थान पर घरेलू कुकिंग गैस सिलेंडर उपयोग करने वाले व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर कोई अभियान नहीं चला। जिला सृजन हुए लगभग 16 वर्ष का समय हो चुका है। इन 16 वर्षों में भी कभी अवैध रूप घरेलू सिलेंडर उपयोग करने वालों के विरुद्ध कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। माना जाता है विभाग और गैस वितरकों की सांठगांठ से यह सब चल रहा है। 

गैस रिफलिंग का कारोबार भी जोरों पर 
शहर, कस्बे ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े सिलेंडरों छोटे सिलेंडरों में गैस रिफलिंग का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। इनके विरुद्ध तो यदाकदा ही अभियान चला हैं, लेकिन अभियान केवल खाना पूर्ति तक ही सहमत रह गए हैं। बच्चों को स्कूल ले जाने वाले वाहनों को भी कुकिंग गैस से चलाया जा रहा है। इनमें रिफलिंग भी घरेलू सिलेंडरों से की जाती है। 

जुर्माना सजा का है प्रावधान 
घरेलू सिलेंडरों का कॉमर्शिलय में प्रयोग करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इसमें अधिकतम 20 हजार रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। जिला आपूर्ति विभाग को इस मामले में कार्रवाई करने का अधिकार है, लेकिन जिले में यह विभाग इस अवैध कारोबार को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। 

बीते तीन माह में इन प्रकरणों को तीन एफआईआर दर्ज कराई चुकी है। अब वृहद स्तर पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी- अरुण कुमार, जिला पूर्ति अधिकारी

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