वी-लॉग तकनीकी बनेगी परंपराओं की वाहक, छात्र-छात्राओं ने साझा की राय, बोले तकनीकी व्यवस्था आवश्यक

वी-लॉग तकनीकी बनेगी परंपराओं की वाहक, छात्र-छात्राओं ने साझा की राय, बोले तकनीकी व्यवस्था आवश्यक

लखनऊ, अमृत विचार: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में वी लॉग कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में अलग-अलग प्रदेशों से आए छात्र-छात्राओं को ब्लॉग बनाने सहित अन्य विषयों की जानकारी दी गई। शोधार्थियों और छात्रों ने परंपराओं को आगे बढ़ाने में तकनीकी व्यवस्था को कारगर बताया।

हिमांचल प्रदेश में कांगड़ा जनपद के बलाहर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय वेदव्यास परिसर से आईं श्वेता ठाकुर कहती हैं कि शास्त्र सहित अन्य ज्ञान को आमजन तक पहुंचाने के लिए वी लॉग तकनीकी कारगर रहेगी। सुल्तानपुर जनपद के शोधार्थी मयंक तिवारी का कहना है कि संस्कृति को युवाओं व आमजन तक पहुंचाने के लिए तकनीकी प्रणाली को अपनाना होगा, इसके सहारे कम खर्च में दूर-दूर तक प्रचार व प्रसार हो सकता है। जम्मू से आए अमित शर्मा शास्त्रीय द्वितीय के छात्र हैं, इनका कहना है कि हम छोटे-छोटे वीडियों के सहारे परंपराओं को आगे बढ़ा सकते हैं। मध्य प्रदेश से आए दीपक पाण्डेय ने बताया कि कार्यशाला में धार्मिक एवं मंदिरों पर ब्लॉग बनाने की जानकारियां मिली हैं। ये प्रचार का सबल माध्यम है। अल्मोड़ा से आए नरेंद्र कुमार गुरुरानी ने बताया कि उन्होंने पौराणिक ग्रंथों पर वीडियो बनाने की जानकारी हासिल की। श्यामा तिवारी कहते हैं कि कार्यशाला में वीडियों के माध्यम से परंपरागत और शास्त्रीय भोजन बनाने की जानकारी हासिल हुई। उत्कर्ष शुक्ला ने कहा कि यात्रा के ब्लॉग बनाने की तकनीकी के सहारे वे रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं।

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तकनीकी सेवाएं देंगी रोजगार के अवसर: दिनेश

वी लॉग कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित निदेशक दिनेश एस यादव ने बताया कि नई तकनीकी निश्चित रूप से युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करेगी। उप्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहां रहकर पढ़ाई करने वाले छात्र सीमित संसाधन से छोटे-छोटे ब्लॉग बना सकते हैं। इस माध्यम से उन्हें आसानी से रोजगार मिलेगा। क्योंकि जब कोई वीडियो, ब्लॉग अथवा शॉर्ट मूवी बनाता है तो उसके साथ कई और लोग भी जुड़ते हैं। ऐसे में समूह से जुड़े युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। बताया कि पहले हम सब बड़े- बड़े ब्लॉग बनाते थे। लेकिन अब अलग- अलग विषयों से जुड़े ब्लॉग शार्ट वीडियों के माध्यम से तैयार कर लेते हैं। इसमें समय और पैसा दोनों ही कम खर्च होता है। वी लॉग संस्कृत और संस्कृति को आगे बढ़ाने का उचित माध्यम है।


पांच दिनों तक चलेगा प्रशिक्षण
वर्कशॉप कॉर्डिनेटर डॉ. अमृता कौर ने बताया कि कार्यशाला में देश के अलग-अलग हिस्सों में अध्ययनरत छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। इन्हें छोटे-छोटे वीडियो बनाने के अलावा संस्कृत और संस्कृति के मूल विषयों से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही है। कार्यक्रम पांच अप्रैल तक चलेगा। अलग-अलग दिवसों में आने वाले प्रशिक्षक छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षित करेंगे।

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