बरेली: पहली बार कब बिकी जमीन और अब तक कितने हुए बैनामे?, गैंगवार के बाद रजिस्ट्री विभाग ने जुटाया ब्योरा

बरेली: पहली बार कब बिकी जमीन और अब तक कितने हुए बैनामे?, गैंगवार के बाद रजिस्ट्री विभाग ने जुटाया ब्योरा

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अनुपम सिंह, बरेली। करीब 15 करोड़ के जिस पर प्लॉट पर कब्जे के लिए पीलीभीत बाईपास पर खुलेआम दो घंटे तक गोलीबारी कर पूरे शहर को दहला दिया गया, उसका इतिहास करीब 54 साल पुराना है। तब यह प्लॉट नहीं बल्कि 35-40 बीघा का खेत हुआ करता था जिसका रजिस्ट्री विभाग में पहली बार 1970 में बिकने का रिकॉर्ड है। समय गुजरने के साथ कुल 80-85 बैनामे हुए और ये खेत प्लॉटों में तब्दील हो गया और उसकी कीमत कौड़ियों से करोड़ों में पहुंच गई। कुछ साल पहले यह जगह भूमाफिया की निगाहों में आई तो भीषण गैंगवार की बुनियाद भी रखी जाने लगी।

छह दिन पहले पीलीभीत बाईपास पर गोलीबारी की घटना के बाद पुलिस और प्रशासन कई अलग-अलग दिशा में काम कर रहा है। बृहस्पतिवार को गोलीकांड के मुख्य आरोपी राणा का एक होटल और कोठी ध्वस्त कर दी गई थी तो शुक्रवार को दूसरे पक्ष के आदित्य उपाध्याय के डोहरा रोड पर आलीशान रिजॉर्ट पर भी बुलडोजर चला दिया गया। 

इसके साथ प्रशासन विवादित जमीन के बैनामे कराने वाले लोगों की कुंडली खंगालने में भी जुट गया है। प्रशासनिक अफसरों ने रजिस्ट्री विभाग को अलग-अलग गाटा नंबर देकर उनकी रजिस्ट्री कराने वाले लोगों के बारे में जानकारी मांगी है।

पीलीभीत बाईपास पर प्लाॅट पर कब्जे काे लेकर हुए गैंगवार के मुख्य आरोपी राजीव राना पर समेत अन्य आरोपियों पर कार्रवाई के साथ ही बाकी उन लोगों की भी कुंडली खंगालने की कवायद शुरू हाे गई है, जिन्होंने इस जमीन पर बैनामे करा रखे हैं। प्रशासन की ओर से निबंधन विभाग से अलग-अलग गाटा संख्या देकर रजिस्ट्रियां कराने वाले लोगों के बारे में जानकारी मांगी है। बताया जा रहा है कि रजिस्ट्री कार्यालय से प्रशासन को कुछ गाटा नंबरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा दी है। बाकी गाटा नंबरों के बारे में पता लगाने के लिए पुराने रिकॉर्ड की छानबीन की जा रही है।

जिस विवादित प्लाॅट के लिए बवाल हुआ, उसके आसपास बडे़ क्षेत्रफल में जमीन है। कई काॅलाेनियां भी बन चुकी हैं। बताया जा रहा है कि रिकॉर्ड के मुताबिक सन् 1970 तक यह जमीन झम्मन नाम के किसी शख्स की होती थी। तब इस पर खेती हुआ करती थी और इसका कुल रकबा 35-40 बीघा हुआ करता था। 

झम्मन ने इस जमीन का सन् 1970 में इस जमीन का पहला बैनामा किया था। इसके बाद अब तक उसकी अलग-अलग लोगों के 80 से 85 रजिस्ट्री कराने का ब्योरा मिला है। प्रशासन ने इनमें से 15-20 गाटा नंबर रजिस्ट्री दफ्तर को देकर उन पर बैनामा कराने वाले लोगों के बारे में जानकारी मांगी है। रजिस्ट्री विभाग ने इनमें से कुछ गाटा नंबरों के बारे में जानकारी दे दी है और कुछ का ब्योरा तैयार कर रहा है।

रजिस्ट्री विभाग की रिपोर्ट से होगा तय किसके नाम है जमीन, कौन काबिज
प्रशासन ने रजिस्ट्री विभाग को जो गाटा नंबर दिए हैं, उनसे संबंधित अलग-अलग बिंदु पर जानकारी मांगी हैं। इनमें फिलहाल जमीन किसके नाम पर कागजों में दर्ज है, जमीन कब बेची गई थी, उसे बेचने और खरीदने वाला कौन था जैसे बिंदु शामिल हैं। माना जा रहा है कि रजिस्ट्री विभाग से ब्योरा लेने के बाद प्रशासन यह देखेगा कि जिसके नाम बैनामा है यानी कागजों में स्वामित्व है, वह मौके पर भी काबिज है या नहीं। 

इससे एक तो यह साबित होगा कि जमीन का स्वामित्व न होने के बावजूद कौन-कौन इस मामले में दिलचस्पी दिखा रहा है और किसने इस जमीन पर नाजायज कब्जा किया है, दूसरे भविष्य में कोई नया विवाद रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि अभी अफसर इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस जमीन से संबंधित कई मामले सिविल कोर्ट में भी विचाराधीन हैं।

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