यूपी-बिहार में ऑनलाइन गेमिंग के खेल से इस तरह कमाये थे करोड़ों रुपये, पुलिस ने 12 को किया गिरफ्तार

यूपी-बिहार में ऑनलाइन गेमिंग के खेल से इस तरह कमाये थे करोड़ों रुपये, पुलिस ने 12 को किया गिरफ्तार

प्रयागराज,अमृत विचार। प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने ऑनलाइन ठगी करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। ठगी करने वाला गैंग ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर करोड़ों रुपये का खेल कर चुका है। इस धर पकड़ में कुल 12 ठगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से भारी मात्रा में इलेक्ट्रानिक उपकरण और करोड़ों रुपये बरामद किये गये है। सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की गयी है। यह बड़ी कार्रवाई डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय की स्पेशल टीम ने किया है। 

डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया कि कुछ दिनों से इस गिरोह की गतिविधियों को सर्च किया जा रहा था। गैंग चलाने वाले पहले ऑनलाइन गेमिंग में लड़कों को जीतने का मौका देते थे। बाद में उनकी लत बढ़ने पर उन्हे हराने लगते थे। इसकी लगातार जानकारी की जा रही थी। मंगलवार को सटीक जानकारी मिलने के बाद गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।

इन शातिरों के पास से 42 मोबाइल, 12 लैपटॉप, 52 सिम कार्ड बरामद किये गये है। इनके पास से दो करोड़ 53 लाख रुपये बरामद किया गया है। अभी इस मामले में आगे भी जांच की जा रही है। डीसीपी ने बताया कि तीन वेबसाइट लेजर, 99 एक्सचेंज और 11 एक्स प्ले के माध्यम से यह शातिर क्रिकेट, फुटबाल, हॉकी, लूडो, चेस, कार रेस, बॉक्सिंग सहित खेलों के जरिये से लोगों से पैसे लगवाते थे। ज्यादा पैसे लगाने के बाद उन्हे हरा देते थे।  इनके पास गेम का पूरा सिस्टम था। यह जिताने के साथ हरा भी सकते थे। उन्होंने बताया कि इन सभी का कनेक्शन बिहार के गोपालगंज से जुड़ा हुआ हैं। गिरफ्तारी के बाद प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस ने बिहार पुलिस से संपर्क कर इनकी जानकारी हांसिल की। इसके बाद 12 आरोपी पकड़े गये है। 

डीसीपी यमुना नगर श्रद्धा नरेंद्र पांडेय ने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए इन लोगों ने तीन साइट बनाया था। सोशल मीडिया साइट पर बड़ी गेमिंग कंपनियों की तरह यह भी विज्ञापन जारी करते थे और लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। फेसबुक, इंस्ट्राग्राम, वाट्सएप ग्रुप समेत अन्य प्लेटफार्म पर अपनी तीनों साइट का प्रचार करने के साथ 100 रुपये की ज्वाइनिंग फीस भी लेते थे। शुरूआती दौर में यह पहले खिलाड़ियों को अपने जाल में फंसाने के लिए उन्हे 30 से 35 हजार रुपये जितने का मौका देते थे। 

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