असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में 42 अभ्यर्थियों से की गई वसूली, कई शिक्षक रडार पर, STF कर रही कॉलेजों में नेटवर्क तलाश

Amrit Vichar Network
Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती फर्जीवाड़े में लगभग 42 अभ्यर्थियों से पेपर देने और नौकरी का झांसा देकर रुपये वसूले गए। दो सहायक प्रोफेसरों की गिरफ्तारी के बाद कई और शिक्षक पुलिस के रडार पर आ गए हैं। इनके मोबाइल नेटवर्क और बैंक खातों की डिटेल खंगाली जा रही है।

सटीएफ ने रविवार को लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में राजनीति शास्त्र के सहायक प्रोफेसर बैजनाथ पाल, उसका भाई अनुदेशक विनय पाल, संविदा कर्मचारी महबूब अली शामिल थे। रविवार को ही देर रात को दूसरी टीम ने केकेसी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर विपिन कुमार यादव को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ और पुलिस अब लखनऊ, गोंडा और प्रयागराज के कई कॉलेजों में गिरोह का नेटवर्क खंगाल रही है।

डिप्टी एसपी दीपक कुमार सिंह के मुताबिक दो सहायक प्रोफेसर, एक अनुदेशक व एक संविदा कर्मचारियों ने मिलकर 14.70 करोड़ रुपये ठगने की तैयारी कर चुके थे। इसमें एक चौथाई रकम की वसूली भी हो चुकी थी। परीक्षा में प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने से लेकर पास कराने और नियुक्ति दिलाने के लिए 35-35 लाख रुपये सौदा किया था। आरोपी सहायक प्रोफेसर विपिन यादव ने कुबूल किया कि कुछ रकम खाते में मंगाए थे। ज्यादातर रकम नकदी हासिल की थी। विपिन के पास एसटीएफ की टीम को 42 अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र, आधार कार्ड समेत कई जरूरी दस्तावेज मिले। वहीं उसके मोबाइल में लेनदेन की डिटेल मिली है। कुछ रकम यूपीआई और गूगल पे के जरिये आये थे। कुछ ने सीधे खाते में रुपये डाले थे। वहीं करीब 65 से 70 प्रतिशत रकम नकद मिला था। कुछ ने प्रश्न पत्र गलत मिलने की बात कहकर रुपये वापस मांगे थे। ज्यादा दबाव बनाने वालों के रुपये वापस कर दिये गये थे।
कई शहरों के अभ्यर्थियों को बनाया निशाना

डिप्टी एसपी ने बताया कि गिरोह से जुड़े सभी व्यक्तियों के बारे में पता लगाया जा रहा है। जिस पर संदेह हो रहा है, उससे पूछताछ की जा रही है। जिनका कनेक्शन गिरोह से मिला तो उसकी गिरफ्तारी की जा रही है। पुलिस ने बताया कि प्रश्न पत्र की मदद से परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी अलग-अलग शहर में रहते हैं। सभी को चिन्हित कर लिया गया है। उन सभी से पूछताछ की जाएगी, ताकि गिरोह के सरगना के बारे में पता लगाया जा सके। पुलिस का मानना है कि सभी सदस्य नहीं गिरफ्तार हुए तो किसी और परीक्षा में ठगी कर सकते हैं।

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