लखीमपुर खीरी: दिव्यांग लवली को मिला अदाणी फाउंडेशन का सहारा, इलाज-पढ़ाई का लिया जिम्मा

लखीमपुर खीरी: दिव्यांग लवली को मिला अदाणी फाउंडेशन का सहारा, इलाज-पढ़ाई का लिया जिम्मा

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार: आठ साल की दिव्यांग लवली को अदाणी फाउंडेशन का सहारा मिल गया है। अब फाउंडेशन न सिर्फ लवली का समुचित इलाज कराएगा, बल्कि उसकी पढ़ाई की जिम्मेदार भी ले ली है। इससे लवली बेहद खुश है और वह कहती है कि अब वह ठीक होकर अन्य बच्चों की तरह गेंद खेलने लगेगी।WhatsApp Image 2024-05-17 at 10.48.43 PM

गोला गोकर्णनाथ तहसील के दूरदराज के गांव कंधरापुर की मासूम लवली की कहानी बेहद दर्द भरी है। वह महज सात महीने की थी, तभी उसकी मां किस्मती ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया। पिता धर्मवीर कुछ महीने बाद ही दूसरी शादी कर घर से अलग रहने लगा। लवली को उसके 65 वर्षीय बाबा ओमप्रकाश सिंह और दादी उर्मिला ने पाला पोसा, लेकिन वह कभी अपने पैरों पर ठीक से नहीं खड़ी हो पाई। 

वजह है कि लवली का जन्म से ही बायां हाथ और पैर टेढ़ा है, जिसके चलते उसे चलने-फिरने में परेशानी होती है। लवली के बाबा-दादी ने उसका काफी इलाज कराया, लेकिन वह ठीक नहीं हो सकी। लवली तीन साल की हुई तो गांव के सरकारी स्कूल में दाखिला भी करा दिया। अब वह पांचवी कक्षा की छात्रा है और पढ़ाई में खूब मन लगाती है। 

बाबा ओमप्रकाश सिंह कहते हैं उनकी मंशा पोती को पढ़ा लिखाकर बड़ा अफसर बनाने की है। इधर, फेसबुक पर लवली की दिव्यांगता का एक वीडियो और उसकी मार्मिक कहानी वायरल हुई, जिसे उद्योग जगत की शख्सियत गौतम अदाणी ने देखा और वह द्रवित हो गए। उन्होंने लवली के इलाज और पढ़ाई का जिम्मा लेने की ठान ली। इस अदाणी फाउंडेशन ने गांव आकर उसके बाबा-दादी से मिला और उन्हें पूरी जानकारी दी। लवली के बाबा-दादी यह जानकार बहुत खुश हैं।

जांच और चेकअप के लिए लखनऊ रवाना
अदाणी फाउंडेशन की टीम ने कंधरापुर पहुंचकर अपने साथ लवली और उसके बाबा-दारी को शुक्रवार को लखनऊ लेकर रवाना हो गई है। बाबा ओमप्रकाश सिंह ने मोबाइल पर अमृत विचार को बताया कि वह लखनऊ जा रहे हैं, जहां लवली की जांच और चेकअप के साथ ही इलाज शुरू हो जाएगा।

भगवान ने सुन ली दिल की आवाज, सब अच्छा होगा
लवली के बुजुर्ग बाबा ओमप्रकाश सिंह कहते हैं कि वह पोती को देख देखकर रोते थे। क्योंकि चाहकर भी उसे ठीक नहीं करा पा रहे थे। वह बच्चों के साथ स्कूल जाती तो उनके जैसा नहीं चल पाती थी। भगवान से यही प्रार्थना करता था कि मेरी लवली ठीक हो जाए। अब दिल की आवाज भगवान ने सुन ली है। उसकी मदद के लिए फरिश्ता आ गया है। अब लवली भी अन्य बच्चों के साथ दौड़-भाग कर सकेगी। खेलेगी और कूदेगी। वह एक दिन अफसर बनकर आएगी। लवली की दादी भी बहुत खुश हैं।

गौतम अडाणी ने ट्विट कर कहा- बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद
गौतम अदाणी ने एक्स पर कहा, "एक बेटी का बचपन यूं छिन जाना दुखद है! छोटी-सी उम्र में लवली और उसके दादा-दादी का संघर्ष बताता है कि एक आम भारतीय परिवार कभी हार नहीं मानता। अदाणी फाउंडेशन यह सुनिश्चित करेगा की लवली को बेहतर इलाज मिले और वो भी बाकी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ सके। हम सब लवली के साथ हैं।"

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