वैश्विक जगत में चिंता

वैश्विक जगत में चिंता

दुनिया पहले से ही दो बड़े युद्ध के संकट को झेल रही है। ऐसे में ईरान के इजराइल पर हमले ने वैश्विक जगत में चिंता बढ़ा दी है। भारत ने भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताई है। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच इजराइल ने ब्रिटेन, फ्रांस से ईरान पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है। 

ईरान ने हाल में कम से कम नौ मिसाइलों से इजराइल  के दो हवाईअड्डों पर हमला किया है। हमले में बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है। इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने कहा कि शनिवार की रात, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने इजराइली क्षेत्र पर अपने पहले सीधे हमले में इजराइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागी थीं। 

ईरान ने यह हमला गत एक अप्रैल को दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजराइल  के हवाई हमले के जवाब में किया था। संयुक्त राष्ट्र में इजराइल  के स्थायी प्रतिनिधि गिलाद एर्दान ने कहा कि उनके पास ईरान के हालिया हमले का जवाब देने का कानूनी अधिकार है क्योंकि उसने (ईरान) ने ‘हर लाल रेखा ’ को पार कर लिया है। उधर खाड़ी के देश युद्ध के विस्तार को लेकर खासे चिंतित हैं और अमेरिका को युद्ध से दूरी बनाए रखने को लेकर चेता रहे हैं। आशंका यह भी जताई जा रही है कि यदि इजराइल जवाबी कार्रवाई करता है तो युद्ध का विस्तार बड़े इलाके में हो सकता है। 

हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जी-7 देशों के नेताओं से हुई बातचीत के बाद इस संकट से निपटने में कूटनीतिक तेजी आई है। जो बाइडन ने जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला और इजराइल  के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी फोन पर अलग से बातचीत की।  इन बातचीत में अमेरिकी नेतृत्व ने क्षेत्र में तनाव बढ़ने से रोकने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा इजराइल  की रक्षा के लिए अमेरिका की  प्रतिबद्धता को दोहराया। 

दरअसल युद्ध को टाला नहीं गया तो इसका दायरा चिंताजनक स्तर तक फैल सकता है। गौरतलब है कि भारत के दोनों ही देशों से अच्छे संबंध हैं। यही कारण है कि इजराइल पर ईरान का हमला होते ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों पक्षों से बातचीत की। ईरान में चार हजार और इजराइल में 18.5 हजार भारतीय रहते हैं। 

युद्ध के फैलने की आशंका के मद्देनजर दोनों देशों में रह रहे भारतीयों की वहां से निकासी चिंता का कारण है। इसलिए भारत का रुख स्पष्ट है। वह तनाव कम करने के लिए हर संभव कोशिश करेगा। युद्ध से दुनिया गहरे आर्थिक संकट की चपेट में आ सकती है। इसलिए दोनों देशों को संयम बरतते हुए कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए। 

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