EVM पर क्यों उठाए जाते हैं इतने सवाल?, जानिए क्या बोले बरेली के मतदाता
बरेली,अमृत विचार: ईवीएम से चुनाव कराने की शुरुआत दुनिया के कई देशों में हुई थी लेकिन अब तमाम देशों ने इस पर रोक लगा दी है और अब वहां बैलेट पेपर से ही मतदान कराया जा रहा है। भारत में भी कई राजनीतिक दल लंबे समय से ईवीएम हटाने की मांग कर रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद ज्यादातर लोगों को ईवीएम पर पूरा भरोसा है। लोगों का कहना है कि ईवीएम पर दोषारोपण हार छिपाने का बहाना लगता है। अब तक यह साबित नहीं हो सका है कि ईवीएम के जरिए सत्ताधारी दल चुनाव में बेईमानी करते हैं।
हर राजनीतिक दल चुनाव में एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं, इसी आरोप-प्रत्यारोप में ईवीएम भी उनके बीच मुद्दा बना ली जाती है। कई साल से हर चुनाव के बाद ईवीएम को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है। ईवीएम में खोट साबित करने से सामने वाले की जीत खोटी साबित की जा सकती है---चांदनी वर्मा, कटराचांद खां।
जब कोई राजनीतिक दल चुनाव हारता है तो उसे एक बहाना चाहिए होता है। जीतने वाला राजनीतिक दल कभी कोई सवाल नहीं उठाता। ईवीएम पर इसी वजह से आरोप लगाए जाते हैं ताकि उससे निकले नतीजे को असल जनमत के खिलाफ बताया जा सके। यह अब प्रवृत्ति बन चुकी है--- राजू पाल, संजयनगर।
किसी भी चुनाव को निष्पक्ष ढंग से कराने के लिए भारत निर्वाचन आयोग बहुत कुछ करता है। इसमें सभी दलों की सहमति रहती है, फिर भी नतीजा जिसके खिलाफ जाता है, वह ईवीएम पर सवाल उठाता है। मुझे ईवीएम पर भरोसा है। राजनीतिक दलों की बहानेबाजी पर एतबार नहीं है--- तरुण अरोरा, मॉडल टाउन।
राजनीतिक दल जनमत को स्वीकार नहीं करना चाहते, इसी वजह से ईवीएम में दोष ढूंढते हैं। ईवीएम पर शक जताकर अपनी हार को गलत साबित करना राजनीतिक दलों का हर चुनाव में स्थाई बहाना बन चुका है।सत्ताधारी दलों पर सवाल भी उठाए जाते हैं लेकिन मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है--- बोधराज, मॉडल टाउन।
ईवीएम को दूसरे कई देशों ने अपनी चुनाव प्रक्रिया में इस्तेमाल करना बंद कर दिया है, इसी वजह से भारत में भी उस पर सवाल उठाए जाते हैं। हालांकि इसकी तकनीक पर निर्वाचन आयोग की तरफ से कई बार सफाई दी जा चुकी है लेकिन फिर भी चुनाव आते ही राजनीतिक दल कई कारणों से उस पर सवाल उठाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह फैसला दिया है कि वीवीपैट और मशीन की पर्ची का मिलान किया जाए।इसमें देखा जाएगा कि जितनी पर्ची हैं, उतना वोट पड़ा है या नहीं। इसका नतीजा क्या होगा, अभी इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है--- डाॅ. दिनेश प्रताप, असिस्टेंट प्रोफेसर बरेली कॉलेज।
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