Lucknow Traffic: राजधानी में 520 चौराहे, 750 पुलिसकर्मी, कैसे संभले ट्रैफिक....
लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में 520 चौराहे हैं, जबकि यातायात व्यवस्था संभालने के लिए केवल 750 पुलिसकर्मियों की तैनाती है। इन्हें में 30 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को वीआईपी और वीवीआईपी मूवमेंट में भी लगाया जाता है। चौराहों पर आधुनिक सुविधाओं और सिग्नल की बात करें तो सिर्फ 180 पर ही ये व्यवस्था संचालित है। वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में इतने कम पुलिसकर्मियों और संसाधनों में यातायात व्यवस्था संभालना मुश्किल हो रहा है। इसे देखते हुए यातायात पुलिस के अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों को 2000 पुलिसकर्मी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भेजा है।
राजधानी में प्रतिदिन करीब पांच से छह लाख वाहन आवागमन करते हैं। यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए लाखों रुपये खर्च कर कई योजनाएं चलीं, लोगों को जागरूक किया गया, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। नवंबर में 18 वर्ष के युवकों और लोगों को हादसे रोकने के लिए जागरूक करने की थीम पर यातायात माह चलाया जा रहा है। इस पर तभी नियंत्रण लगेगा जब ओवर स्पीडिंग, नो पार्किंग, जाम और सिग्नल का प्रबंधन बेहतर तरीके से किया जाएगा। यातायात पुलिस की संख्या भी बढ़ाने की जरूरत है।
सिग्नल बढ़ाने और टाइमर में सुधार की जरूरत
यातायात पुलिस अधिकारी का दावा है कि सिग्नल लगने से नियमों का उल्लंघन कम होता है। वहीं, पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाने से भी राहत मिलती है। बचे हुए चौराहों पर भी जल्द सिग्नल की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, कई चौराहों और तिराहों पर लगे सिग्नल के टाइमर के कारण वाहनों की लंबी लाइन लग जाती हे।
कई चौराहों पर एक तरफ 70 से 80 सेकेंड तो दूसरी तरफ 40 से 45 सेकेंड का टाइमर लगा है। इसके कारण दूसरी तरफ लंबी लाइन लग जाती है। यह स्थिति हजरतगंज अटल चौक, माल एवेन्यू, अवध चौराहा, इंजीनियरिंग चौराहा, बाराबिरवा, रविंद्रायल, तेलीबाग, पॉलीटेक्निक, कमता, लोहिया, 1090 प्रमुख है। इन चौराहों को पार करने में लोगों को सुबह और शाम को दो से तीन बार सिग्नल के ग्रीन होने का इंतजार करना पड़ता है।
रोड इंजीनियरिंग जाम का बड़ा कारण
राजधानी की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए यातायात पुलिस ने एक सर्वे कराया। इसमें रोड इंजीनियरिंग और चौराहे की बनावट भी जाम का बड़ा कारण है। वर्षों पुरानी रोड इंजीनियरिंग और चौराहों की बनावट में समय के साथ बदलाव की जरूरत है, ताकि बढ़ते वाहनों की संख्या के अनुसार काम किया जा सके। दूसरी बड़ी वजह मनमानी पार्किंग हैं। पार्किंग की सुविधा सभी प्रमुख बाजारों और सड़कों के पास करने की जरूरत है। इसके लिए संबंधित विभागों के बीच समन्वय की जरूरत है, जिसका अभाव दिखता है।
मौजूद संसाधन में बेहतर परिणाम देने की कोशिश
डीसीपी यातायात प्रबल प्रताप सिंह के मुताबिक जो संसाधन विभाग के पास हैं। उसमें बेहतर परिणाम देने की कोशिश की जा रही है। प्रमुख आठ चौराहों पर टीम द्वारा सर्वे कराया गया। जाम न लगे इसके लिए कुछ परिवर्तन किए जा रहे हैं। सिग्नल सिस्टम को बेहतर किया जा रहा है। चौराहों की बनावट और रोड इंजीनियरिंग का काम संबंधित विभाग कर रहे हैं। इस संबंध में जरूरी समन्वय स्थापित किया जा रहा है।
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