बाराबंकी: दलों पर ही रहा बाराबंकी वोटरों का भरोसा, रामसेवक अकेले निर्दलीय सांसद

 आजादी के बाद से अबतक 66 प्रत्याशी आजमा चुके हैं किस्मत

बाराबंकी: दलों पर ही रहा बाराबंकी वोटरों का भरोसा, रामसेवक अकेले निर्दलीय सांसद

  इस बार भी किसी एक दल का ही सांसद चुनेगी बाराबंकी की जनता

रीतेश श्रीवास्तव, बाराबंकी,अमृत विचार। लोकसभा चुनाव में बाराबंकी लोकसभा सीट से निर्दल प्रत्याशियों ने जोर आजमाइश खूब की लेकिन 1957 के चुनाव में रामसवेक यादव ही ऐसे एक मात्र सांसद चुने गए जिन्होंने निर्दलीय के रुप में चुना लड़ा था और जीत हासिल की थी लेकिन इसके बाद अभी तक किसी को सफलता नहीं मिल सकी। अभी तक इस सीट से 65 निर्दल उम्मीदवार किस्मत आजमा चुके हैं। इनमें से अधिकतर को वोट के लिए भी तरसना पड़ा। यहां 1951 के चुनाव में सबसे पहले निर्दल उम्मीदवार के तौर पर प्रभु दयाल ने चुनावी अखाड़े में ताल ठोंकी। प्रभू दयाल 18,493 मत पाकर 11वें स्थान पर रहे थे। इसके बाद 1957 में दो निर्दल उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई। इनमें रामसवेक यादव ने शानदार जीत हासिल की। इन्हें 1,89,600 मत हासिल कर कांग्रेस के  स्वामी रामानंद को 31330 वोटों से हराया था। वहीं दूसरे निर्दल उम्मीदवार रहे नन्हेलाल चौथे स्थान पर रहे थे। आरएस यादव के निर्दल के रुप में संसद पहुंचने के बाद आज तक मतदाताओं ने किसी भी निर्दल प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया है। सन् 1962 और 1967 के चुनाव में कोई भी निर्दल प्रत्याशी नहीं था।

वहीं 1971 में दो निर्दल चुनाव लड़े। इनमें पार्वती 7591 मतों के साथ चौथे और अब्दुल रहमान 3876 मत के साथ पांचवे स्थान पर रहे। 1977 में तीन निर्दल मैदान में उतरे। इनमें बैजनाथ रावत ने 8938 मत पाकर चौथा, 2485 मत पाकर पोखई पांचवें तो विश्राम लाल 1655 मतों के साथ छठे स्थान पर रहे थे। 1980 में दो निर्दलीयों में से 4489 मत पाने वाले रामफल चौथे तो 2638 मत पाकर पोखई पांचवें नंबर पर रहे। 1984 में चार निर्दलीय चुनावी महासमर में उतरे। इनमें से छेदालाल को 8138, रामसरन को 6138, कमला को 5657 और टीकाराम को 3884 मत हासिल कर क्रमश: पांचवें, छठे, सातवें और आठवें स्थान पर रहे थे। इसी तरह 1989 में तीन और 1991 में चार निर्दल प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई, लेकिन कोई भी टॉप थ्री में जगह नहीं बना सका। 1996 में अब तक के चुनावों में सबसे अधिक 18 निर्दलीय प्रत्याशियों ने दम दिखाने की कोशिश की लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। 1998 में तीन निर्दल में से मोती लाल 2471 मत पाकर सातवें तो 2125 मत के साथ रामनरेश आठवें और मात्र 436 मत पाने वाले राममनोरश 12 वें स्थान पर रहे। 1999 में आधा दर्जन निर्दलीय, 2004 में चार व 2009 में छह निर्दल प्रत्याशी चुनाव लड़े। इनमें से कोई टॉप फाइव में जगह नहीं बना सका। इसी कड़ी में 2014 के चुनाव में तीन निर्दलीय ने किस्मत आजमाया। वहीं सांसद बनने की हसरत में तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने 2019 के महासमर में भी किस्मत आजमाई। जीतना तो दूर कोई अधिकतर जमानत भी नहीं बचा पाए।

हर निर्दलीय ने छुआ तीन अंकों का आंकड़ा

निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में आरएस यादव के अलावा बाराबंकी संसदीय सीट पर भले आज तक किसी ने जीत नहीं दर्ज कर सके, लेकिन अब तक मैदान में उतरे हर निर्दलीय ने मत हासिल करने में तीन अंकों का आंकड़ा जरूर छुआ है। सबसे कम मत पाने वाले निर्दलीय उम्मीदवार राजनरेश रहे हैं। जिन्हें1998 के चुनाव में मात्र 436 मत ही मिले।

निर्दलीय लड़ कागजों पर छोड़ गए छाप

चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने जोर आजमाइश तो खूब की, लेकिन टॉप थ्री में एक को छोड़ अन्य कोई जगह बना सका। हां इतना जरुर रहा है कि इन प्रत्याशियों के नाम जरुर कागजों के साथ इतिहास के पन्नों में जरुर इनका नाम अर्जित हो गया। आज भी इन सभी के नाम व प्राप्त मतों के आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग के वेबसाइट पर दर्ज हैं।

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