मुरादाबाद : भाजपा से लगातार चौथी बार सर्वेश, अब सपा ने नये चेहरे पर खेला दांव

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा सपा का था गठबंधन, सपा से डॉ. एसटी हसन ने जीता था पिछला चुनाव, इस बार नामांकन के बाद कटा टिकट

मुरादाबाद : भाजपा से लगातार चौथी बार सर्वेश, अब सपा ने नये चेहरे पर खेला दांव

मुरादाबाद, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव में इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा से जहां पूर्व सांसद कुंवर सर्वेश सिंह लगातार चौथी बार चुनाव मैदान में हैं वहीं बसपा के बाद अब सपा ने भी नये चेहरे पर दांव खेला है। एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा के नामांकन के बाद सपा में अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है। अब इसका फायदा किसे मिलेगा यह देखना दिलचस्प होगा।

भारतीय जनता पार्टी से कुंवर सर्वेश सिंह 2009 से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। 2009 में वह कांग्रेस के मोहम्मद अजरूद्दीन से चुनाव हार गए थे। इसके बाद 2014 में उन्होंने चुनाव जीत कर कमल खिलाया। लेकिन, अगले आम चुनाव में वह समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन से 2019 में हार गए। इस बार भी अटकलों को निराधार साबित करते हुए उनके ऊपर पार्टी ने भरोसा जताते हुए एक बार फिर प्रत्याशी बना दिया है। नामांकन के बाद वह जनसंपर्क और बैठकों में जुट गए हैं। वहीं समाजवादी पार्टी में राजनीतिक ड्रामा जारी है।

24 मार्च को पार्टी ने अपने मौजूदा सांसद डॉ. एसटी हसन के नाम टिकट घोषित कर दिया। होली के बाद अगले दिन 26 मार्च को डॉ. एसटी हसन एक तरफ नामांकन दाखिल करने के लिए घर से निकले तो फिजा में उनके टिकट कटने की चर्चा होने लगी। इसको लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे डॉ. हसन भी असहज हो गए। लेकिन, नामांकन का समय 3 बजे समाप्त होने से चंद मिनट पहले उन्होंने रिटर्निंग अधिकारी मानवेंद्र सिंह के कक्ष में पहुंचकर उन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया।

वहीं बिजनौर की पूर्व विधायक रूचि वीरा का टिकट आजम खां की पैरवी के बाद कन्फर्म होने की चर्चा तेज हो गई। वह रात में ही मुरादाबाद पहुंच गईं। लेकिन, असमंजस बना रहा। खुद के अधिकृत प्रत्याशी होने का दावा करते हुए रुचि वीरा ने बुधवार को जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय कक्ष में पहुंचकर रिटर्निंग अधिकारी मानवेंद्र सिंह को नामांकन पत्र सौंपा। इसके साथ ही सपा के प्रत्याशी के रूप में एक दिन पहले नामांकन दाखिल करने वाले डॉ. एसटी हसन का टिकट कटने पर मुहर लग गई। रिटर्निंग अधिकारी ने भी रुचि वीरा की तरफ से अधिकृत प्रत्याशी होने का पत्र देने की बात कही गई। इसके बाद वर्तमान सांसद ने अपना मोबाइल स्विच आफ कर लिया। हालांकि इसके पहले उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऊपर सब कुछ डालने की बात कही थी।

ऐसे में अब सपा की अंदरूनी कलह का फायदा भाजपा व बसपा प्रत्याशी को पहुंचने की बात कही जा रही है। बसपा ने इरफान सैफी को अपना प्रत्याशी बनाया है। 46 वर्षीय इरफान सैफी सपा में चल रहे मनमुटाव को अपने पक्ष में किस हद तक मोड़ लेते हैं यह चंद दिन में पता चलने लगेगा।

वहीं भाजपा प्रत्याशी ने नामांकन के दिन ही दो लाख से अधिक वोट से अपनी जीत का दावा कर सभी पर भारी पड़ने का संकेत दे दिया था। उनके साथ नामांकन में पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की प्रतिष्ठा भी इस सीट से सीधी जुड़ी है। क्योंकि मुरादाबाद उनका गृह जनपद है। अपने घर में कमल खिलाने के लिए वह भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। सपा के साथ इस बार कांग्रेस का हाथ है। क्योंकि दोनों गठबंधन के सहयोगी हैं। बसपा प्रत्याशी इस समय बड़े दलों के प्रत्याशियों में एकमात्र मुस्लिम चेहरे हैं। ऐसे में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण उनको मजबूती दे सकता है।

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