बरेली: महिला कल्याण विभाग की उपनिदेशक नीता अहिरवार बोलीं- प्रशासनिक सेवा में न आती तो अध्यापिका होती-

नीता अहिरवार ने कहा- मां चाहती थीं मैं महिलाओं की मदद करूं

बरेली: महिला कल्याण विभाग की उपनिदेशक नीता अहिरवार बोलीं- प्रशासनिक सेवा में न आती तो अध्यापिका होती-

शब्या तोमर/बरेली,अमृत विचार। महिला कल्याण विभाग की उपनिदेशक नीता अहिरवार कहती हैं कि वह प्रशासनिक सेवा में न आतीं तो अध्यापिका होतीं। यह इत्तफाक है कि उनकी मां चाहती थीं कि वह महिलाओं की मदद करें और आज वह महिला कल्याण विभाग में ही अफसर हैं।

मूल रूप से झांसी की रहने वाली नीता ने जूलॉजी से बीएससी, एमएससी, एमए, बीएड, एमएड और फिर नेट उत्तीर्ण करने तक अपनी पढ़ाई अध्यापिका के तौर पर करियर बनाने के लिए की लेकिन फिर प्रशासनिक सेवा में आने की धुन सवार हो गई। जिला प्रोबेशन अधिकारी के रूप में सेवाएं शुरू करने के बाद कोरोना काल में खुद कोविड होने के बाद भी ड्यूटी जारी रखी।

इस दौर में लोगों की मदद के लिए किए गए प्रयासों पर उनके विभाग को 2022 में राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला। अब महिला कल्याण विभाग में उप निदेशक का दायित्व है और वह इसे महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य करते हुए पूरी कर रही हैं।

नीता ने बताया कि शुरू से उनकी प्रेरणास्रोत उनकी मां रहीं। हालांकि भाई और पिता भी प्रशासनिक सेवाओं में थे। पिता बीडीओ पद से रिटायर हुए हैं। उनके पति भी सरकारी टीचर हैं। दस साल की बेटी उन्हीं के साथ ग्रीन पार्क में रहती है। नीता को पहली तैनाती जिला प्रोबेशन अधिकारी पद पर 2012 में फतेहपुर में मिली। उसके बाद जिम्मेदारियां बढ़ती गईं।

2016 में लक्ष्मी सम्मान योजना के तहत एक पुराने केस में अविवाहित पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए लीक से हटकर प्रयास किए। परिवार ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। 2017 में बरेली जैसे बड़े जिले में तैनाती उनके लिए चुनौती थी। इसे पूरा करने की कोशिश कर रही हैं। नीता ने बताया कि उनके पास बीडीओ का चार्ज नहीं है। किसी ने इस बारे में भ्रामक सूचना फैलाई है।

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