उप्र: निजीकरण की वापसी में जूनियर इंजीनियर संगठन की रही प्रभावी भूमिका

लखनऊ, अमृत विचार। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला फिलहाल सरकार ने वापस ले लिया है। यह लड़ाई बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों द्वारा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले लड़ी गई। संघर्ष समिति को करीब एक दर्जन से ज्यादा बिजली संगठनों का सहयोग मिला। लेकिन इस कार्यबहिष्कार और इन सभी संगठनों …
लखनऊ, अमृत विचार। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का फैसला फिलहाल सरकार ने वापस ले लिया है। यह लड़ाई बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों द्वारा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले लड़ी गई। संघर्ष समिति को करीब एक दर्जन से ज्यादा बिजली संगठनों का सहयोग मिला। लेकिन इस कार्यबहिष्कार और इन सभी संगठनों के बीच सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी भूमिका राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन की रही।
जूनियर इंजीनियर संगठन ने यह आंदोलन करो या मरो की तर्ज पर लिया और संघर्ष किया। इतना ही नहीं कार्यबहिष्कार के फैसले को तब वापस लिया जब प्रबंधन और सरकार निजीकरण के फैसले पर बैकफुट पर आ गए। इस दौरान संगठन की ओर से सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को साफ तौर पर संदेश दे दिया गया था कि यह निजीकरण की यह अंतिम लड़ाई है, हमें किसी भी स्तर से निजीकरण के सरकार के इस फैसले को वापस कराना है।
यदि हम ऐसा नहीं कर सके तो संगठन की एकता और अस्तित्व पर सवाल खड़े हो जाएंगे। इतना ही नहीं वर्तमान नेतृत्व भी सवालों के घेरे में आ जाएगा। पूर्वजों द्वारा कड़ी मेहनत के बाद विभाग में सबसे बड़े संगठन के रूप में दिए गए नाम जूनियर इंजीनियर संगठन भी निजीकरण को नहीं रोक पाया धब्बा लग जाएगा।
करीब महीने भर पहले की थी आंदोलन की शुरुआत
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन कार्यबहिष्कार से पहले करीब एक महीने से आंदोलन करता चला आ रहा था। संगठन की ओर से 7 सितंबर को पत्रकार वार्ता कर बीते 48 घंटे तक अनवरत कार्य कर सहयोगात्मक आंदोलन किया गया। इस दौरान संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा प्रबंधन को सकारात्मक सहयोग देने के लिए पूरे मनोयोग से काम किया और उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्राथमिकता से समाधान किया। संगठन के इस आंदोलन में जनता और अन्य संगठनों का भी सहयोग मिला।
संख्या बल से अन्य संगठनों पर भारी
प्रदेश में जूनियर और प्रोन्नत अभियंताओं की संख्या सात हजार से ज्यादा है। ऐसे में संगठन में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की संख्या भी सात हजार है। जो कि विभाग के किसी अन्य संगठनों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा है। इनकी संख्या बल के आगे कई संगठन तो टिकते भी नहीं हैं। ऐसे में यह संगठन संख्या बल के आधार पर अन्य संगठनों पर भारी पड़ गया। प्रदेश के जिलों में भी जूनियर अभियंताओं और संगठन के पदाकारियों, कार्यकर्ताओं का बोलबाला रहा।
जूनियर अभियंताओं की वजह से सबसे ज्यादा कार्य प्रभावित
जूनियर अभियंताओं के आंदोलन में कूद जाने से कार्य पूरी तरह से प्रभावित हो गया। इनके आंदोलन में आने से राजस्व वसूली, अभियान, कनेक्शन देने और काटने के साथ ही सप्लाई व्यवस्था को दुरुस्त करने काम पूरी तरह से प्रभावित हो गए। इतना ही नहीं इनके आंदोलन में आने से हजारों उपभोक्ता के काम रुक गए। बता दें कि अवर अभियंताओं का सीधा जुड़ाव क्षेत्र की जनता से होता है। जनता सीधे तौर काम कराने के लिए अवर अभियंताओं के पास पहुंचती है। ऐसे में इन अभियंताओं की वजह से संघर्ष समिति के आंदोलन को जनता का सीधे-सीधे सहयोग मिला।