लखनऊ: 10 बच्चों का पिता बन डॉक्टर ने पेश की नजीर, बाकी है अभी और बेटे बेटियों की उम्मीद

लखनऊ: 10 बच्चों का पिता बन डॉक्टर ने पेश की नजीर, बाकी है अभी और बेटे बेटियों की उम्मीद

लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी के कर्नल डॉक्टर राजेश कुमार यादव 10 बच्चों के पिता हैं। कर्नल डॉक्टर राजेश कुमार यादव की चाहत है कि उनके और बेटे बेटियां हों जिससे वह समाज की सेवा की अपनी ख्वाहिश पूरी कर सकें। इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उनके 29 साल के त्याग को अनदेखा नहीं किया जा सकता। उनका यह त्याग समाज को बहुत कुछ दे रहा है और आने वाले समय में बहुत कुछ देगा भी। कर्नल डॉक्टर राजेश कुमार यादव की कहानी समाज के लिए एक बड़ा उदाहरण है। आईए जानते हैं उनके त्याग की कहानी जो उनके 10 बच्चों से शुरू होती है। मौजूदा समय में कर्नल डॉक्टर राजेश कुमार यादव राजधानी स्थित कमांड अस्पताल मे तैनात हैं।

दरअसल, हरियाणा स्थित महेंद्रगढ़ जिले के राजेश कुमार यादव साल 1994 में डॉक्टर बनते हैं। भवाना गांव के रहने वाले डॉ.राजेश अपने गांव के ही नहीं बल्कि उस इलाके में डॉक्टर बनने वाले पहले शख्स थे। उनके डॉक्टर बनने पर लोगों के बधाइयों का तांता लग गया था, लेकिन साथ ही एक बात और आम होने लगी थी। जिसमें लोग कहने लगे थे कि भईया अब डॉक्टर बन गये हैं तो यहां कहां रहेंगे। यह तो बड़े शहरों में जाकर बस जायेंगे। लोगों की यही बात डॉ. राजेश कुमार यादव के जहन में घर कर गई।

उन्होंने तभी से ठान लिया की कुछ न कुछ अपने गांव और इलाके लिए जरूर करेंगे। साल 1995 में डॉ. राजेश कुमार यादव का सेना में चयन हो गया। शुरूआत में कर्नल डॉ. राजेश कुमार यादव जरूरतमंद लोगों को निशुल्क भोजन के लिए लंगर चलाना, इलाज में मदद करना जैसे तमाम काम करते रहे, जो आज भी जारी है। इस काम में वह अपने भाई प्रवीण की मदद भी लेते रहे। बाद में उनके मन में एक आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण अस्पताल गांव में बनाने का ख्याल आया। गांव में यह सुविधायें लाना तो आसान था, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की तलाश चुनौती पूर्ण थी। जिसके कारण उनका यह सपना सकारा नहीं हो पा रहा था। बस यहीं से बच्चों को गोद लेने और उनको पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनाने की ठान ली। अपने बेटे बेटियों के साथ उन्होंने भाई के बेटे- बेटियों को भी गोद ले लिया। वहीं गांव के 6 बच्चों को तीन साल की उम्र में ही गोद ले लिया। इन सभी बच्चों में 6 बेटियां और चार बेटे शामिल हैं। जिनमें से 5 बच्चे एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। एक बच्चा इंजीनियर बना है। वहीं बाकी बच्चे एमबीबीएस की तैयारी कर रहें। इन सभी बच्चों को उन्होंने अपने बेटे-बेटियों की तरह ही पाला है। खास बात यह है कि बच्चे इन्होंने जरूर पाले, लेकिन कानूनी तौर पर उन्होंने किसी भी मां बाप का अधिकार नहीं छीना। 

कर्नल डॉ. राजेश कुमार यादव बताते हैं कि मेरी इच्छा है कि मैं और बच्चों को गोद लूं और उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित करूं। जिससे मेरे गांव और इलाके के लोगों को एक बेहतरीन अस्पताल और डॉक्टर मिल सकें। जिससे किसी को इलाज के लिए भटकना न पड़े। 

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