बरेली: तीन तेंदुए होने का शोर, शीशगढ़ से बहेड़ी तक दहशत

बरेली/बहेड़ी/शीशगढ़, अमृत विचार। तेंदुआ के बुझिया गांव की उपासना को निवाला बनाने के बाद वन्यजीवों की चहलकदमी से आधा दर्जन गांवों में दहशत फैली हुई है। बुझिया के ग्रामीणों के दिल से डर निकला नहीं था कि राठ गांव में तेंदुआ की चहलकदमी से ग्रामीण सहम गए। यहां शावक संग मादा तेंदुआ होने की चर्चा …
बरेली/बहेड़ी/शीशगढ़, अमृत विचार। तेंदुआ के बुझिया गांव की उपासना को निवाला बनाने के बाद वन्यजीवों की चहलकदमी से आधा दर्जन गांवों में दहशत फैली हुई है। बुझिया के ग्रामीणों के दिल से डर निकला नहीं था कि राठ गांव में तेंदुआ की चहलकदमी से ग्रामीण सहम गए। यहां शावक संग मादा तेंदुआ होने की चर्चा भी खूब हुई। वन विभाग के अधिकारी बुझिया, राठ गांव में फिर से तेंदुआ के दिखने की बात को सिरे से झुठला रहे हैं। जबकि नीलगाय, कुत्ते का शिकार हुआ है। गन्ने के खेत में नीलगाय का शिकार करते हुए तेंदुए को राठ की महिलाओं ने भी देखा है।
अब बहेड़ी के मिर्जापुर गांव में तेंदुआ दिखा है। इससे माना जा रहा है कि जंगलों में शिकार नहीं मिल रहा है। इसकी वजह से तेंदुआ आबादी की ओर पहुंच रहे हैं। शीशगढ़-बहेड़ी के अलग-अलग गांवों में तेंदुआ के दिखने बीच तीन तेंदुओं के क्षेत्र में मूवमेंट करने की चर्चा भी जोर पकड़ रही है। वहीं, रबड़ फैक्ट्री में कई महीने से बाघिन चहलकदमी कर रही है। बाघिन ने फैक्ट्री परिसर को ही घर बना लिया है।
बहेड़ी में तड़के दिखा तेंदुआ, शाम को घरों में कैद हो गए लोग
बहेड़ी के मिर्जापुर रंजीत गांव में तेंदुआ दिखाई दिया है। गांव के मेहरबान ने बताया कि उसके घर के बराबर में एक खेत है। रात करीब 3 बजे एक तेंदुआ उसी खेत में कुत्ते का शिकार करने के लिए छलांग लगा रहा था। पहले उसने अपने परिवार के लोगों को जगाया। बाद में शोर मचाकर गांव के अन्य लोगों को भी एकत्र किया। उसके अनुसार शोर सुनकर तेंदुआ गन्ने के खेत की ओर भाग गया लेकिन उसने कुत्ते का शिकार कर लिया। इसके बाद से गांव में दिनभर दहशत रही। लोगों ने छोटे बच्चों को घरों से निकलने नहीं दिया। शनिवार की शाम अंधेरा होने से पहले ही लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए।
शुक्रवार को राठ गांव की महिलाओं ने तेंदुआ देखा
शुक्रवार को राठ गांव कुछ महिलाएं दक्षिण दिशा की तरफ जानवरों के लिए चारा लेने गई थीं। वहां गन्ने के खेत में तेंदुए नीलगाय का शिकार कर रहा था। तेंदुए को देख महिलाएं डर गई और वहां से भागकर गांव में आ गई। रामविलास के अनुसार ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे। तब तेंदुआ वहां नहीं था। किसान धर्मपाल ने धान के खेत में तेन्दुए के पगचिन्ह और उसका मल देखा था।
रबर फैक्ट्री में बाघिन बनी है आतंक का पर्याय
फतेहगंज पश्चिमी स्थित रबर फैक्ट्री में बीच-बीच में अपने दर्शन देने वाली बाघिन को लेकर भी आसपास के गांवों के ग्रामीण दहशत में हैं। तीन दिन पहले बाघिन की लोकेशन कैमरे में कैद हुई थी लेकिन अब बाघिन की लोकेशन नहीं मिल रही है। बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने बहुत माथा पच्ची की थी। देहरादून, दुधवा, पीलीभीत समेत क्षेत्रों से टीमें आई थीं लेकिन बाघिन किसी के हत्थे नहीं चढ़ी। वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि बाघिन शातिरपन अपना रही है, उसे तेंदुए की तरह जाल में फंसाना आसान नहीं है। हर वार वह लोकेशन बदल रही है।
“शीशगढ़ क्षेत्र में शनिवार को भी टीमों ने पूरे दिन पड़ताल की लेकिन ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले, जिससे तेंदुआ की मौजूदगी होना पता चले। बीते तीन दिनों से हर दिन बुझिया और राठ गांव में टीमें निगरानी कर रही हैं। जैसे ही कोई पग चिह्न या अन्य कोई सबूत मिलेगा, वहां पर पिंजरा लगाकर तेंदुए को पकड़ने के प्रयास किए जाएंगे।”–रविंद्र सक्सेना, रेंजर बहेड़ी