कासगंज: सोरों ही है तुलसीदास की जन्मस्थली, इसके हैं तमाम प्रमाण

कासगंज: सोरों ही है तुलसीदास की जन्मस्थली, इसके हैं तमाम प्रमाण

राजा सक्सेना, सोरोंजी। पिता आत्माराम द्विवेदी हुलसी जिनकी माता थी। सोरोंजी के कवि तुलसी थे, मन में भक्ति राम की थी। यह प्रमाणिकता सोरों के पुरोहित दे रहे हैं। उनके ऐसे तमाम प्रमाण है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि सोरोंजी ही तुलसीदास की जन्मस्थली है। इधर राजापुर को तुलसी जन्मभूमि बताकर सरकार द्वारा विकास के लिए 30 करोड़ रूपये जारी करने को लेकर पुरोहितों में बेहद आक्रोश है।  

रामचरित मानस ग्रंथ के रचनाकर संत तुलसीदास का जन्मस्थान केवल सोरों में ही है तुलसीदास ने मानस में स्पष्ट कहा है ‘ मैं पुनि निज गुरू सन सुनी, कथा सो सूकरखेत। समुझि नहीं तसि बालपन, तब अति रहेउ अचेत।। तदपि कही गुरु बारहिबारा, समुझि परी कछु मति अनुसारा। भाषाबद्ध करऊ मैं सोई, मोरे मन प्रबोध जेहि होई।। अर्थात मैंने अपने गुरु से पुन: रामकथा सूकरखेत में सुनी लेकिन तब मैं बालपन की अचेतावस्था में था इसलिए मैं भली भांति समझ न सका। 

फिर भी गुरु के बार-बार रामकथा कहने पर मेरी समझ में जो कुछ भी आया उसको मैंने लिखा। तुलसीदास पर सबका अधिकार है। वे पृथ्वी उत्पत्ति स्थल भगवान श्रीवराह की प्राकट्य भूमि, भागीरथी गंगा तटवर्ती सनातन तीर्थ सोरों के थे और रहेंगे। श्रावण शुक्ल सप्तमी, शुक्रवार, संवत 1568 अर्थात 01 अगस्त,1511 को शूकर क्षेत्र सोरों के मुहल्ला योगमार्ग में वह जन्मे थे। 

अंग्रेजी गजेटियर्स में भी है प्रमाण 
तुलसी किसके, कहां के हैं, इसका महत्त्व उतना नहीं, जितना कि इसका- कि तुलसी के कौन-कौन हैं। “राजवीर अहीर उपाख्य राजा साधु” की स्मृति में संवत 1652 में तुलसी ने“राजापुर” स्थापित किया। अंग्रेजकालीन गजेटियर्स व मध्यकालीन साहित्य में सर्वत्र प्रमाण हैं। सोरों में एक पटिका भी है जिसमें अंग्रेजी शासन काल में तुलसीदास का जन्म सोरों होने का जिक्र है। 

हिंदी सलाहकार समिति एवं नागर बीमानन मंत्रालय के सदस्य के सदस्य प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र मिश्र ने बताया कि शूकर क्षेत्र सोरोंजी में संत तुलसीदास का जन्म हुआ यह सत्य सभी को मुक्त भाव से स्वीकारना होगा। इस सत्य को छीनने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। संत तुलसीदास ने 36 वर्ष की अवस्था में सोरोंजी से प्रस्थान किया और उन्होंने 63 वर्ष की अवस्था तक अयोध्या, प्रयाग, मथुरा, कासगंज आदि स्थानों में भ्रमण किया। 89 वर्ष की अवस्था तक चित्रकूट व यमुना किनारे निवास करते रहे। 

प्रोफेसर डा. राधाकृष्ण दीक्षित का कहना है कि तुलसीदास का जन्म सोरों में ही हुआ था। इसके एक नहीं अनेक प्रमाण है। उसके बावजूद भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। सोरों की ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। तीर्थ नगरी सोरों को तुलसी का जन्मस्थान घोषित करना चाहि और यहां तुलसी जन्म भूमि के नाम पर बजट आवंटित करना चाहिए। जिससे कि यहां के लोगों की भावनाएं आहट न हो।  

मुख्यमंत्री को ई-मेल पर भेजी शिकायत 
सोरों के पुरोहित पंडित राहुल वशिष्ठ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ई-मेल के माध्यम से पत्र भेजा है। जिसमें लिखा है कि गोस्वामी तलसीदास की जन्मभूमि के रूप में राजापुर को धनराशि देने की घोषणा की गई है जबकि प्रमाणित जन्मभूमिक शूकर क्षेत्र धाम सोरों है। इसलिए सोरों को ही तुलसीदास का जन्मस्थान घोषित किया जाए। अन्यथा सोरों की जनता विरोध करेगी।

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