बरेली: विधवा पेंशन फर्जीवाड़े की नई जांच में फंसे कई अधिकारी और कर्मचारी

प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय के बाबू का पाया गया सीधा हाथ, इसी सप्ताह हो सकती है कार्रवाई

बरेली: विधवा पेंशन फर्जीवाड़े की नई जांच में फंसे कई अधिकारी और कर्मचारी

बरेली, अमृत विचार। रामनगर ब्लॉक के गोठा खंडुआ में विवाहित महिलाओं को विधवा पेंशन देने का फर्जीवाड़ा ब्लॉक और जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय के बाबुओं की साठगांठ का नतीजा था। दोनों कार्यालयों के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी इस गोलमाल से आंखें मूंद ली थीं। नए सिरे से जांच के बाद इस फर्जीवाड़े में तीन अधिकारियों समेत कई सरकारी कर्मचारियों की भूमिका सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर होने की पुष्टि हुई है। खुद ब खुद यह भी साफ हुआ है कि तत्कालीन डीएम की वजह से यह मामला दब गया था।

सिर्फ गोठा खंडुआ गांव में 25 से 30 साल उम्र की 46 विवाहित महिलाओं को विधवा पेंशन देने के मामले में दोबारा शुरू हुई जांच अंतिम दौर में है। अफसरों के अनुसार में दोषी पाए गए अधिकारी और कर्मचारियों पर इसी सप्ताह कार्रवाई का निर्णय लिया जा सकता है। फिलहाल तत्कालीन और मौजूदा ब्लॉक स्तर के कई अधिकारियों समेत चार जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।

गोठा खंडुआ में विवाहित महिलाओं को विधवा पेंशन देने के मामले का खुलासा अमृत विचार ने सितंबर में किया था। शुरुआती दौर में अफसरों ने इस गोलमाल की अनदेखी कर दी। कई दिन बाद तत्कालीन डीएम शिवाकांत द्विवेदी ने जांच का आदेश दिया था। इसके बाद जांच हुई लेकिन सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को इसमें साफ बचा दिया गया। पिछले दिनों डीएम रविंद्र कुमार ने दोबारा जांच का निर्देश दिया। यह जांच लगभग पूरी हो गई है। दोषी पाए गए किस अधिकारी-कर्मचारी पर क्या कार्रवाई होनी है, अब सिर्फ यह तय होना बाकी रह गया है।

कुछ लोगों की भूमिका की रिपोर्ट आ गई है। जिला प्राेबेशन अधिकारी कार्यालय का बाबू सीधे तौर पर दोषी पाया गया है। ब्लॉक के बाबू की भी संलिप्तता है। ब्लॉक स्तर के तीन अधिकारियों समेत चार और की भी भूमिका पाई गई है। डीएम के निर्देश के मुताबिक सभी पर कार्रवाई की जाएगी- जगप्रवेश, सीडीओ।

एसडीएम की पहली जांच रिपोर्ट लौटा दी थी तत्कालीन डीएम ने
तत्कालीन डीएम शिवाकांत द्विवेदी के आदेश के बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी और एसडीएम आंवला के स्तर पर अलग-अलग जांच की गई थी। बताया जाता है कि दोनों की रिपोर्ट में भी विरोधाभास था। एसडीएम की रिपोर्ट साफ थी और इसमें कई सरकारी कर्मचारियों की भी साठगांठ का जिक्र था लेकिन डीएम ने उनकी रिपोर्ट लौटाकर दोबारा जांच का निर्देश दे दिया था। एसडीएम को दूसरी बार जांच करने में काफी समय लगा। बाद में रिपोर्ट दी तो उसमें सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम साफ हो चुके थे। सिर्फ प्रधान और पंचायत सहायक के पति और दो दलालों के खिलाफ एफआईआर कराकर मामला रफादफा कर दिया था।

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