कानपुर: दिमाग के सिग्नल से काम करेगा इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर वाला हाथ, दिव्यांगजनों को मिला खास तोहफा!

आंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधार्थियों ने दिव्यांगता को दूर करने की खोज निकाली तकनीकी

कानपुर: दिमाग के सिग्नल से काम करेगा इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर वाला हाथ, दिव्यांगजनों को मिला खास तोहफा!

नीरज मिश्र, कानपुर। दिव्यांगजन की हाथ की समस्या अब जल्द ही दूर होने वाली है। कुदरती अहसास के साथ सभी कार्यों को कुशलता से करने वाला हाथ उन्हें मिलने वाला है। जिसका शोध कार्य पूर्ण हो चुका है। निर्माण की प्रक्रिया भी अंतिम चरण पर है। महज दो महीने के अंदर ये सभी के बीच होने का दावा है।

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आंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी फॉर दिव्यांगजन के छात्र छात्राओं की टीम ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित हाथ को बनाया है। जिसका नाम कृतालिका रखा गया है। इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर के आधारित पर यह कार्य करेगा। इसको बनाने वाली टीम के सदस्य धात्री पाठक, तृप्ति सिंह और अमन सिंह ने बताया कि इसको बनाने का विचार दिवांगजन की तकलीफ को देख दिमाग में आया।

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जब वे और उनकी टीम ने बीटेक के प्रथम वर्ष में प्रवेश किया तब देखा कि दिव्यांगजन के इस कालेज में कई ऐसे विद्यार्थी हैं जिनके पास हाथ नहीं है। जिसके कारण कई तरह की दिक्कतों को फेस करना पड़ता है। हाथ किसी भी इंसान के जीवन का महत्वपूर्ण अंग होता है। जिसके पास नहीं होता है वही इसकी उपयोगिता को भी समझ सकता है। सभी की तकलीफ को देखते हुए ठान लिया कि एक ऐसा हाथ बनाएंगे जो कि इनका कोई भी कार्य करने में सहायता प्रदान कर सके।

इस तरह से करेगा कार्य

इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर आधारित कृतालिका को बनाने वाले छात्र अमन सिंह ने बताया कि इसके सेंसर को ऐच्छिक क्रियाओं से जोड़ा जाएगा। हाथ दिमाग से प्राप्त सिग्नल के आधार पर कार्य करेगा। इलेक्ट्रोमायोग्राफी सेंसर मसल्स के संदेशों को रिकॉर्ड करेंगे, आवश्यकताओं के अनुसार उंगलियों, कलाई और कोहनी की गतिविधियों पर सटीक नियंत्रण करेगा। इसको बनाने के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अनुकूल पीएलए प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है। वस्तुओं को पकड़ने, ताकत और विभिन्न दैनिक कार्यों को करने सहायक होगा।

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दो वर्ष से अधिक का लगा समय

बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र अमन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में एचओडी स्वेता त्रिपाठी (इलेक्ट्रानिक ), अटल बिहाली शोध केंद्र के सहायक प्रोफेसर पंकज यादव, सहायक प्रोफेसर बिंदू कुमारी ने सहयोग किया। बताया कि पहले थर्माकोल और कार्डबोर्ड पर बनाना शुरू कर ग्रेसियर कंट्रोल हैंड बनाया। जिसके बाद अब मसल्स कंट्रोल का कार्य चल रहा है। बताया कि इसका कई प्रदर्शनी में प्रदर्शन भी किया। एलिम्को में जाकर इसको दिखाया जिसकी सभी ने तारीफ की। जिसके बाद आईआईटी के वैज्ञानिकों के भी बताए गए सुझावों को इसमें समाहित किया।

ऑनलाइन रोबोटिक प्रतियोगिता में पूरे भारत में टीम ने 5 वीं रैंक हासिल की। कालेज में हुए आइडिया उत्सव में गुजरात की आईक्रियेट कंपनी के प्रमुख आशीष कनौजिया ने इस प्रोजेक्ट की तारीफ की साथ ही फंड देने की बात भी कही। इस सब में टीम को करीब ढाई वर्ष का समय लग गया। बताया कि नए वर्ष में इसको तैयार कर लिया जाएगा। अगले दो महीने में पूर्ण रूप से बना देंगे। किसी भी ऐसे पेशेंट जिनके पास हाथ नहीं होता है या उनके बीच से हाथ कटा हुआ होता है उन पर यह लगाने के लिए तैयार हो जाएगा।

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