चित्रकूट : पत्तियों को जलाने के लिए लगाई आग ने बरपाया कहर, 32 परिवार तबाह

चित्रकूट : पत्तियों को जलाने के लिए लगाई आग ने बरपाया कहर, 32 परिवार तबाह

राजापुर,अमृत विचार। तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत भदेहदू स्थित बस्ती में शनिवार दोपहर भीषण आग ने लगभग डेढ़ दर्जन कच्चे घरों में रहने वालों को तबाह कर दिया। आग से घर के साथ गृहस्थी का सामान, कपड़े, रुपये और गहने आदि राख के ढेर में बदल गए। दो मवेशी भी आग की भेंट चढ़ गए। आग ने लगभग 32 परिवारों को बर्बाद कर दिया। 

गांव आग

जानकारी के मुताबिक, शनिवार अपराह्न लगभग ढाई बजे आग पणरहाई बगीचे से फैली। बताते हैं कि यहां लोगों ने महुआ बीनने के लिए पत्तियां जलाई थीं। हवा से इससे उठी चिंगारियां लगभग पांच सौ मीटर दूर घरों तक जा पहुंचीं और देखते ही देखते हेमराज,  राममूरत,  लक्ष्मी,  रामराज,  मनी चंद्र,  छेद्दा,  राजेश,  ब्रजेश,  रामकरण,  रामसूरत,  चुन्ना,  रामबाबू,  विश्वास,  शिव कुमार,  ढुनगू,  संतोष,  झबुआ,  भोंडा,  दउवा,  नत्थू,  चुन्नी,  राधेश्याम,  राजेश, रमेश,  भोंडू,  अनुवा,  कलमत,  राजा,  कुन्नू,  राकेश,  अनुरुद्ध और रज्जन देवी के घरों तक जा पहुंची। लगभग 32 परिवारों का सारा सामान राख हो गया।

जब आग लगी तो ग्रामीण खेतों में कटाई कर रहे थे। बच्चे और वृद्ध ही घरों में थे।  आग लगने की सूचना पर बदहवास ग्रामीण घरों की ओर भागे और आग बुझाने की कोशिश शुरू की। दमकल की चार गाड़ियां लगभग दो घंटे बाद पहुंचीं और आग बुझाने में जुट गईं। हालांकि तबतक गरीब लुट चुके थे। समाचार लिखे जाने तक दमकल की गाड़ियां आग बुझाने में जुटी थीं। नगर पंचायत राजापुर से भी पानी के टैंकर बुलाए गए थे। फायर स्टेशन राजापुर,  कर्वी,  मऊ,  मानिकपुर, चित्रकूट के साथ आसपास के जिलों बांदा के अतर्रा और कौशांबी के  पश्चिम शरीरा से फायर टैंकर मंगाए गए। 

डीएम और एसपी ने बंधाया ढांढस 

जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन, पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक चक्रपाणि त्रिपाठी,  उप जिलाधिकारी हर्षिता देवड़ा,  क्षेत्राधिकारी जयकरन सिंह व कई थाना इंचार्ज मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों को गति दी। अधिकारियों ने अग्निपीड़ितों को ढांढस बंधाया और आर्थिक मदद और आवास दिए जाने का भरोसा दिया। डीएम ने ग्राम प्रधान व कोटेदार को निर्देशित किया कि सभी अग्निपीड़ितों के खानपान व राहत शिविर की व्यवस्था की जाए। 

एक के बाद एक घर पहुंची आग

आग ने हवा का सहारा पाकर एक के बाद एक कच्चे घर को आगोश में ले लिया। लोग घरों से कोई सामान नहीं निकाल पाए। बदहवास लोग चीखते रोते इधर से उधर भागते रहे। महिलाएं, बच्चे घर में रखे सामान को निकालने के लिए दौड़ती रहे। आग से राधेश्याम की गाय जिंदा जल गई तथा अनवा की एक पड़िया भी जल गई। राकेश के पांच बीघे में खड़ी गेहूं की फसल राख हो गई। 

आग से अनाज, कपड़े समेटते रहे लोग गरीब ग्रामीण आग से बदहवास हो गए। जिसको जो मिला, समेटता रहा। आग से जला अनाज, कपड़े बचाते लोगों को देखकर लोग भावुक हो गए। आसमान के नीचे ग्रामीण बचा सामान लेकर बैठे नजर आए।

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