कानपुर: 44 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर सेवानिवृत्त पीएफ कर्मी से 82 लाख ठगे

कानपुर, अमृत विचार। साइबर ठग ने सीबीआई अधिकारी बनकर इस बार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी को 44 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके 82 लाख रुपये की साइबर ठगी कर ली। ठगी का एहसास होने पर उन्होंने पनकी और साइबर थाने पहुंचकर प्रार्थना पत्र दिया। जिसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पनकी के शताब्दी नगर के हिमालय भवन निवासी विनोद कुमार झा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने बताया कि 12 फरवरी को उनके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को आयकर अधिकारी संजय त्रिपाठी बताया। कहा कि दिल्ली में उनकी ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी नाम की फर्म है। उसके नाम पर 8.62 लाख रुपये कॉरपोरेट टैक्स बकाया है। इस बात पर जब उन्होंने खुद की कोई भी फर्म होने से इंकार किया तो कॉल करने वाले ने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराने की बात कही।
पीड़ित के अनुसार इसके बाद उसने उसी लाइन पर पुलिस को कॉल ट्रांसफर कर दिया। कॉल करने वाले शख्स ने अपना नाम विक्रम सिंह बताया। उसने कहा कि रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है और एफआईआर नंबर भी दिया। पीड़ित के अनुसार इसके बाद फिर डर दिखाने के लिए फोन सीबीआई अधिकारी को ट्रांसफर करने की बात कही। कुछ ही देर में खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाली पायल ठाकुर ने कहा कि उनका नाम मनी लॉड्रिंग में आया है। ऐसे में खातों की जांच करनी होगी और खाते में जमा सारे रुपये ट्रांसफर करने होंगे।
सीबीआई अधिकारी पायल ठाकुर ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद उनके रुपये वापस कर दिए जाएंगे। जिस पर पीड़ित पूरी तरह उनके झांसे में आ गए। कहा कि केस खत्म होने तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट रखा जाएगा और केस खत्म होने पर बेल हो जाएगी। इस दौरान आरोपी व्हाट्सएप पर लगातार संपर्क में रहा। झांसे में आए पीड़ित ने तीन बार में आरटीजीएस के जरिए 82 लाख रुपये ठगों के बताए खाते में ट्रांसफर कर दिए। इस दौरान वह पूरे समय वीडियो कॉल पर जुड़े रहे। उन्हें 24 मार्च तक डिजिटल अरेस्ट रखा। पीड़ित के अनुसार रुपये ट्रांसफर होते ही ठगों ने मोबाइल बंद कर दिया। इसके बाद वह सीधे पनकी थाने पहुंचे और साइबर थाने पहुंचे और फ्रॉड की जानकारी दी। इस संबंध में साइबर इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है।
पहले कराए 50 लाख ट्रांसफर फिर एलआईसी तुड़वा दी
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से सेवानिवृत्त विनोद कुमार झा के अनुसार सीबीआई अधिकारी बनकर ठग ने पहले 50 लाख रुपये ट्रांसफर कराए। फिर 30 लाख की एलआईसी तुड़वा दी। ठगों ने घर में रखी ज्वैलरी पर गोल्ड लोन करवाया और इससे भी 6 लाख और हड़प लिए। पीड़ित के अनुसार वर्दी के साथ सीबीआई के लोगों देखकर वह दहशत में आ गए और कहे अनुसार वह व्हाट्सएप कॉल और ऑडियो पर बात करते रहे। जांच करने का तरीका और आईटी व सीबीआई की जांच वाले लेटर भेजकर साथ ही कई बार थाने जैसी चहल-पहल दिखाने के बाद कुछ समझ ही नहीं आया। डिजिटल अरेस्ट रखे जाने के दौरान पत्नी, बेटों व देखरेख करने वाले भतीजे को कुछ भी नहीं जानकारी दे सके।
ईपीएफओ में विजिलेंस अफसर भी रहे
पीड़ित विनोद झा का कहना था कि वह ईपीएफओ में विजिलेंस अफसर भी रहे। घर में पत्नी रेनू झा और बड़ा बेटा हेमंत झा बैंक कर्मी हैं। जो आजाद नगर में पत्नी और बच्चों के साथ रहते हैं। दूसरा बेटा अवनीश झा सूरत में परिवार के साथ रहकर प्राइवेट जॉब करता है। गीता नगर क्रॉसिंग के पास रहने वाले भतीजे राजीव झा उनकी देखरेख करते हैं।
आप दो दिन के लिए दिल्ली आइए
पीड़ित के अनुसार सीबीआई अधिकारी ने कहा कि आप दो दिन के लिए दिल्ली आ जाइए। इस पर कहा कि शुगर, बीपी का पेशेंट हूं, इस वजह से आने में असमर्थ हूं। इस पर कहा कि जेल जाना पड़ेगा। कहा कि आपको संबंधित पुलिस अफसर का मोबाइल नंबर दे रहा हूं। उन्हें बताइए कि मेरा नाम अमित चौधरी मनी लॉंड्रिंग में संदिग्ध के रूप में शामिल किया गया है।
मामला 730 करोड़ की टैक्स चोरी का है, किसी को जानकारी नहीं होनी चाहिए
साइबर ठग ने फोन पर कहा कि मामला 730 करोड़ की टैक्स चोरी का है। इसकी जानकारी किसी को नहीं होनी चाहिए। अगर किसी को इस मामले की जानकारी दी तो 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये जुर्माना लगेगा। जिस पर पीड़ित विनोद कुमार झा ने बताया कि वह बहुत डर गए हैं। किसी को कुछ नहीं बताया है।
फ्लैट के नाम पर भी लोन कराने की थी तैयारी
पीड़ित विनोद कुमार झा ने बताया कि साइबर ठगों ने फ्लैट के पेपर दिखाने को कहा। फिर पूछा फ्लैट किसके नाम पर है। इस पर भी 50 लाख का लोन कराने की बात कही। इसी बीच मेरी पेंशन आने में देरी हुई। इस पर मैंने पीएफ ऑफिस में काम करने वाले भतीजे राजीव झा को कॉल की। उससे पूछा कि दो अप्रैल हो गए, अभी तक पेंशन नहीं आई। भतीजे ने मुंबई निवासी अपने बड़े भाई से बात की। जब उन्होंने अकाउंट चेक किया तो सामने आया कि 24 मार्च को चाचा विनोद झा ने 6.80 लाख का गोल्ड लोन लिया है। उन्होंने सोचा कि चाचा ने पूरे जीवन में आज तक कोई लोन ही नहीं लिया। अब ऐसी कौन सी जरूरत पड़ गई कि गोल्ड लोन लेना पड़ा। इसके बाद और अकाउंट की जांच की तो देखा कि करीब 80 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ है।
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