इधर भी तो नजर डालिए सीएम सर...! रामपुर वालों का वादा निभाने का समय है

फिजिकल कॉलेज स्टेडियम की जनसभा में किया था ऐलान , अभी तक नहीं बदली रुद्र बिलास चीनी मिल की तकदीर

इधर भी तो नजर डालिए सीएम सर...! रामपुर वालों का वादा निभाने का समय है

सुहेल जैदी, अमृत विचार। आइए सीएम सर, आपका बेसब्री से इंतजार था। मंडल की सरजमीं पर यहां के बाशिंदे आपका इस्तकबाल करते हैं, बेशक यहां परेशानियां बहुत हैं मसलन, बंद पड़ीं चीनी मिलें, लंबित विश्वविद्यालय, हवाई सेवा एवं मेडिकल कॉलेज...लेकिन जो सुविधाएं हैं, उसके भी मुस्तकिल  हैं लोग। आपके राज में मंडल के लोग सुकून में हैं लेकिन पुर-सुकून भी नहीं है। उम्मीद है कि आपकी आमद मुरादाबाद के लिए बहुत कुछ करेगे!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकसभा उप चुनाव में रामपुर से किए वादे को भी निभाइए। करीब डेढ़ वर्ष बीत चुका है लेकिन, रुद्र- बिलास चीनी मिल वैसे ही है। पेराई क्षमता नहीं बढ़ी है। बूढ़ी हो चुकी मशीनें बेमतलब हैं। अब तो पूस की रात में किसानों की उम्मीद टूट रही है। क्षेत्र की अन्य बंद पड़ी मिलों के चलने की प्रतीक्षा है। पूर्व मंत्री सपा नेता आजम खां के लोकसभा सीट से इस्तीफा देने के बाद उप चुनाव में मुख्यमंत्री ने फिजिकल कालेज स्टेडियम की जनसभा में ऐलान किया था कि रुद्र-बिलास चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़ाई जाएगी और रामपुर की चीनी मिलों का कायाकल्प होगा।

24 साल पहले बंद हुई रामपुर शुगर मिल बिना बिके ही अवैध कब्जे में है। करोड़ों रुपये की संपत्ति वीरान पड़ी है। सांठगांठ से चीनी मिल की संपत्ति पर कब्जा जारी है। प्रदेश राज्य चीनी निगम की यह इकाई कभी देश की चीनी मिलों में अहमियत रखती थी। साल 1932 में नवाब रजा अली खां के नाम से शुगर मिल स्थापित की गई थी। मिल के शुरू के बाद करीब डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों की रोजी रोटी चल रही थी। करीब 67 साल तक रामपुर की चीनी की महक देश-विदेश तक फैलती रही। लेकिन, नवंबर 1999 में घाटे की वजह से इस मिल पर ताले लग गए। 127 हेक्टेअर जमीन पर स्थित उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की रामपुर इकाई के बंद होने के बाद से ही करोड़ों रुपये की संपत्ति पर भी अवैध कब्जे शुरू हो गए। 

जिला कारागार को आवंटित कर दी गई 41 हेक्टेअर जमीन : रामपुर शुगर मिल की 41 हेक्टेअर जमीन मिल से लेकर नई जिला कारागार को आवंटित कर दी गई।  86 हेक्टेअर भूमि पर अवैध कब्जा है। मिल की संपत्ति पर बने करीब डेढ़ सौ मकान दूसरों के कब्जे में है। जिला कारागार की भूमि के 250 मकानों पर अवैध कब्जे हैं। इसके अलावा स्वार, खौद व अजीमनगर की जमीन पर भी अवैध कब्जे हो चुके हैं। बताते हैं कि सरकार यदि इस पर ध्यान दे और इसके भी घपलों की जांच कराए तो तमाम सफेदपोश बेनकाब हो सकते हैं।

24 साल से खाली पड़ी जमीनों पर लोगों ने आवास और दुकानें बना ली हैं। मिल का रकबा रामपुर शहर के अलावा आसपास के गांवों में भी है। मिल प्रशासन ने 2015 में अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि 12 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है। जबकि 22 हेक्टेयर जमीन चीनी मिल के लिए अनुपयोगी है। जानकारों की मानें तो इस जमीन को बेचकर मिल को चालू किया जा सकता है। 2015 में चीनी मिल के विशेषज्ञों की टीम ने प्रशासन को सौंपी रिपोर्ट में साफ कहा था कि मिल की संपत्ति का सबसे बेहतर उपयोग सीधे तौर पर मिल को चालू कराकर ही किया जा सकता है। यदि मिल चालू हो जाती है तो रामपुर की बेरोजगारी काफी हद तक दूर हो जाएगी। 

2015 में राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम की चीनी मिल के फिर से चालू होने की संभावना बनी थी। तत्कालीन जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह ने अफसरों के साथ चीनी मिल का दौरा किया था। चीनी मिल से जुड़े तकनीकी व विधि विशेषज्ञों ने रिपोर्ट तैयार प्रशासन को सौंप दी थी। मिल का सर्वे करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजने का सुझाव दिया था। लेकिन, सर्वे के बाद कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी।  

वर्ष 2015 में सपा सरकार के दौरान चीनी मिल को चलाने की कवायद शुरू हुई थी। वह स्थिति जस की तस है, कब्जे हटवाए जा रहे हैं। कब्जाधारकों को करीब 55 नोटिस जारी किए जा चुके हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्दी चीनी मिल की जमीनों को कब्जामुक्त करा लिया जाएगा।-लखन लाल, प्रभारी प्रधान प्रबंधक

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