बरेली: सड़क बनाने के अनुभव पर पुल बनाने का ठेका

पीडब्ल्यूडी अफसरों की ठेकेदार पर मेहरबानी का एक और मामला, विभागीय मंत्री और प्रमुख सचिव से शिकायत

बरेली: सड़क बनाने के अनुभव पर पुल बनाने का ठेका

बरेली, अमृत विचार। पीडब्ल्यूडी में एक-एक कर भ्रष्टाचार की सीमाएं लांघी जा रही हैं। अब बदायूं के पहले से विवादित ठेकेदार को सड़क बनाने के अनुभव प्रमाणपत्र पर पुल बनाने का ठेका दे दिए जाने का आरोप लगाते हुए पीडब्ल्यूडी मंत्री और प्रमुख सचिव से शिकायत की गई है। अफसरों पर यह भी आरोप है कि दो बार डिबार हो चुकी इस फर्म को वे लगातार काम दे रहे हैं। सांसद संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप भी फर्म के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को लिखे जाने के बावजूद अफसरों ने उस पर आंच नहीं आने दी है।

शिकायत बदायूं के ठेकेदार सतीशचंद्र दीक्षित के खिलाफ है जिसमें आरोप है कि सतीश के पास सिर्फ सड़क बनाने का अनुभव प्रमाणपत्र लेकिन इसके बावजूद पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अफसरों ने उनकी फर्म का सेतु निर्माण में ए क्लास का पंजीकरण कर उसे बदायूं की अरिल नदी पर सेतु निर्माण का टेंडर दे दिया। यह फर्म पीलीभीत में भी सेतु निर्माण कई टेंडर प्रक्रिया में शामिल हो चुकी है। शासन में इसकी शिकायत के बाद तत्कालीन मुख्य अभियंता ने इस प्रकरण की जांच की और दोषी मिलने पर फर्म को डिबार कर दिया गया था।

आरोप है कि इसके बावजूद अफसरों ने फर्म को फिर काम दे दिया। तत्कालीन चीफ इंजीनियर डीके मिश्रा ने दोबारा कमी मिली तो फर्म को ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी लेकिन बाद में राजनीतिक दबाव में फर्म को फिर काम दे दिया गया। आरोप है कि शाहजहांपुर के एक निर्माण कार्य के टेंडर में 6 टी के सौ रुपये के बजाय 10 रुपये का स्टांप पेपर अपलोड करने पर भी फर्म को डिबार किया गया। केसरिया हिंदू वाहिनी के जिलाध्यक्ष राकेश सक्सेना की ओर से इस प्रकरण में की गई शिकायत में कई और टेंडरों में गलत प्रमाण पत्र लगाकर भुगतान लेने के आरोप हैं।

छह महीने के बजाय ढाई साल में पूरा किया काम
आरोप है कि फर्म ने अरिल नदी पर सेतु का ठेका लिया था। यह काम छह महीने में पूरा करना था लेकिन ढाई साल में पूरा हो सका। इस दौरान अफसरों की ठेकेदार पर मेहरबानी बनी रही, प्रोजेक्ट की लागत जरूर बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई थी। इस मामले में भी शासन में शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जांच में सभी आरोप मिले निराधार
कई स्तरों पर हुई जांच में मुझ पर लगे सभी आरोप निराधार पाए गए हैं। जिस ठेकेदार ने मेरी फर्म को डिबार कराने के लिए अफसरों से साठगांठ की और जनप्रतिनिधियों के जरिए शासन से दबाव बनवाया, लोकायुक्त की जांच में सबकुछ साफ हो गया। अब मेरे खिलाफ षडयंत्र रचने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई होगी। - सुधीर दीक्षित, ठेकेदार

अपूर्ण दस्तावेज के आधार पर किसी भी फर्म को काम मिलना गलत है। मेसर्स सतीश दीक्षित के खिलाफ की गई शिकायत प्राप्त होने पर जांच की जाएगी। - संजय तिवारी, चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी

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