मथुरा: आज जो मानसिकता बन रही है, वह देश-धर्म के लिए ठीक नहीं- प्रेमानंद महाराज

मथुरा: आज जो मानसिकता बन रही है, वह देश-धर्म के लिए ठीक नहीं- प्रेमानंद महाराज

मथुरा, अमृत विचार। वृंदावन के प्रमुख संत प्रेमानंद महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डा. मोहन भागवत को वर्तमान में लोगों में पनप रही मानसिकता से उत्पन्न होने वाले हालात की तरफ इशारा करते आगाह किया और साथ ही बुद्धि, विचार, धर्म अध्यात्म का ज्ञान और राष्ट्र प्रियता के लिए युवाओं को सुधारने की भी सलाह दी।

उन्होंने कहा कि जब तक यह सब ठीक नहीं होंगे, तब तक कुछ भी बेहतर नहीं होगा। साथ ही संघ प्रमुख से यह भी पूछ लिया कि क्या आपको भगवान श्रीकृष्ण पर भरोसा नहीं।मोहन भागवत प्रेमानंद महाराज के वृंदावन परिक्रमा मार्ग स्थित राध केलि आश्रम पहुंचे और उनको पीत वस्त्र, फल की टोकरी भेंट कर माल्यार्पण कर स्वागत किया।

संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ व्रज क्षेत्र के प्रांत प्रचारक डा. हरीश रौतेला भी मौजूद थे। संघ प्रमुख ने कहा, हमने आपको वीडियो पर सुना है। चाह मिटी, चिंता गई मनुवा बेपरवाह। ऐसे लोग कम देखने को मिलते हैं, इसलिए आप से मिलने की इच्छा हुई और यहां चले आए।

इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, भगवान ने जन्म केवल व्यावहारिक और अध्यात्मिक सेवा करने के लिए दिया है। यह दोनों ही अनिवार्य है। महाराज ने समाज में गिरते बौद्धिक स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में जो मानसिकता पनप रही है, वह ठीक नहीं है। जब तक व्यक्ति के हृदय की मलीनता, व्यवचार, व्यसन और हिंसात्मक वृत्ति ठीक नहीं होगी, तब तक कुछ भी बेहतर नहीं होगा।

सुबह करीब आठ बजे प्रेमानंद महाराज से मिलने के लिए पहुंचे संघ प्रमुख मोहन भागवत आश्रम पर करीब पंद्रह मिनट तक रहे। दोनों के बीच हुई आध्यात्मिक चर्चा के दौरान प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर हम अपने देश के लोगों को परमसुखी करना चाहते हैं तो इसके लिए केवल वस्तु और व्यवस्था देना ही पर्याप्त नहीं है।

हम जो भी सुविधाएं देंगे और भोग सामग्री देंगे, उससे ह्नदय के अंदर जो भी मलीनता है, वह साफ नहीं होगी। जो हिंसात्मक प्रवृत्ति है, वह ठीक नहीं होगी। इनका ठीक होना आवश्यक है, जब ये ठीक हो जाएंगी तो सब ठीक होगा। प्रेमानंद महाराज ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा आज शिक्षा आधुनिकता का रूप लेती जा रही है।

व्यवभिचार, हिंसा की प्रवृत्ति, व्यसन की वृत्ति नई पीढ़ी में बढ़ रही है।  उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत से साफ कहा कि वर्तमान में जो मानसिकता बन रही है, वह देश और धर्म के लिए ठीक नहीं है।  

विचार, आचरण, आहार को शुद्ध करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रेमानंद महाराज ने कहा, छोटे-छोटे बच्चे चरित्रहीन हो रहे हैं। इससे एक दिन राष्ट्र संकट में पड़ जाएगा।  बच्चे माता-पिता को घरों से निकाल रहे। इससे साफ है, हमारा समाज किस दिशा जा रहा है। जब ऐसे लोग मिलते है तो उनको देखकर लगता है कि मनुष्य भी मनुष्यता को छोड़ रहे हैं। इन परिस्थितियों में नई पीढ़ी को राष्ट्र प्रेम और धर्म अध्यात्म का ज्ञान देना आवश्यक है।

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