बरेली: मिड-डे-मील- बच्चों के निवाले में भी सेंधमारी, कम दिया जा रहा खाद्यान्न
परिषदीय स्कूलों में 90 दिन के लिए भेजा गया खाद्यान्न 30 दिन के लिए भी पर्याप्त नहीं, आरोप : कोटेदारों की ओर से कम भेजा जा रहा खाद्यान्न, शिक्षक बोले- बीएसए से करेंगे शिकायत
प्रशांत पांडेय, बरेली, अमृत विचार : परिषदीय स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना (मिड-डे-मील) के तहत बच्चों को भोजन देने के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न मुहैया नहीं कराया जा रहा है। आरोप है कि राशन विक्रेताओं की ओर से ही खाद्यान्न कम मात्रा में स्कूलों में भेजा जा रहा है। शिक्षकों के मुताबिक बच्चों के लिए भेजा जाने वाला खाद्यान्न बेहद कम पड़ रहा है।
ऐसे में स्कूलों में बच्चों को भोजन उपलब्ध कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि इसमें जल्द सुधार न होने पर बीएसए से शिकायत की जाएगी। स्कूलों में कम खाद्यान्न आपूर्ति की स्थिति जनपद के करीब 70 फीसदी स्कूलों में बनी हुई है। इस बार भेजा गया खाद्यान्न कई स्कूलों में समाप्त हो गया है। जबकि यह खाद्यान्न 31 दिसंबर तक के लिए भेजा गया है।
प्रति बच्चा रोजाना 1.5 ग्राम का मानक भी नहीं हो रहा पूरा: मध्यान्ह भोजन योजना के तहत परिषदीय स्कूलों में प्रति बच्चा रोजाना 1.5 ग्राम खाद्यान्न का भोजन रोजाना निर्धारित किया गया है। इस हिसाब से औसतन 100 बच्चों के लिए 30 दिन में 1.5 क्विंटल खाद्यान्न की खपत होती है, लेकिन 100 से अधिक संख्या वाले स्कूलों में भी 1.5 से 2 क्विंटल ही खाद्यान्न भेजा गया है। विभागीय अव्यवस्था के चलते स्कूल के शिक्षकों को भोजन मुहैया कराने के लिए अपने खर्च पर ही खाद्यान्न की व्यवस्था करनी पड़ रही है। सूत्रों के मुताबिक स्कूलों में बीते कई महीनों से कम मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।
अप्रैल से फल और दूध की धनराशि नहीं भेजी गई: योजना के तहत स्कूलों में सोमवार को माैसमी फल और बुधवार को दूध का वितरण कराया जाता है, मगर अप्रैल माह से इसके लिए स्कूलों को धनराशि आवंटित नहीं हुई है। इसके चलते शिक्षकों को मौसमी फल और नियमित रूप से दूध का वितरण करने में कठिनाई हो रही है।
स्कूलों में खाद्यान्न की कम आपूर्ति किसी भी दिशा में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हालांकि, इस संबंध में उच्च विभागीय और जिला खाद्य विपणन अधिकारी से वार्ता कर इस समस्या का तत्काल निस्तारण कराया जाएगा । सभी स्कूलों में पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।- संजय सिंह, बीएसए
मध्यान्ह भोजन योजना के तहत खाद्यान्न की कमी कई महीनों से हो रही है। इसके कई कारण और भी हो सकते हैं, लेकिन खाद्यान्न की कमी के चलते शिक्षकों को आए दिन अनेक तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनपद में ऐसे करीब 70 फीसदी स्कूल हैं, जहां महज 1.5 से कुंतल ही खाद्यान्न भेजा गया है, जबकि स्कूलों में छात्र संख्या अधिक है।- डाॅ. विजय कुमार शर्मा, मंडल अध्यक्ष, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ
इस संबंध में जल्द बीएसए और एडी बेसिक से वार्ताकर स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए कहा जाएगा। बच्चों को मेन्यू के मुताबिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए शिक्षकों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। - नरेश गंगवार, जिलाध्यक्ष, उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ
ज्यादातर विद्यालयों में इस बार खाद्यान्न कम मात्रा में प्राप्त हुआ है। यह खाद्यान्न 31 दिसंबर तक चलाना है मगर अगले महीने केवल क्रिसमस का अवकाश है, बाकी पूरे माह विद्यालय खुलेंगे। ऐसे में बच्चों के अनुपात के अनुसार भेजा गया खाद्यान्न बहुत कम है। बीएसए से वार्ता कर स्कूलों में बच्चों के अनुपान के अनुसार खाद्यान्न मुहैया कराने की मांग की जाएगी।- सतेंद्र पालसिंह, जिला उपाध्यक्ष, यूटा
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