शाहजहांपुर: घोटाले में समाज कल्याण अधिकारी के अलावा आठ अन्य शामिल

शाहजहांपुर: घोटाले में समाज कल्याण अधिकारी के अलावा आठ अन्य शामिल

शाहजहांपुर, अमृत विचार। समाज कल्याण विभाग के वृद्धावस्था पेंशन घोटाले में अब नया खुलासा हुआ है। अब तक सिर्फ जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार का नाम आ रहा था, लेकिन अब आठ अन्य नामों का खुलासा हुआ है।

जिनमें सीतापुर का निवासी विशाल सक्सेना व सूरज, शाहजहांपुर का निवासी साकिब, सीतापुर का निवासी खुशाल, कांट शाहजहांपुर निवासी प्रियांशु शर्मा, खपरीपुर सदर बाजार शाहजहांपुर का निवासी राम औतार, निकरा शाहजहांपुर निवासी सतीश कश्यप, पलहौरा कांट निवासी पप्पू भी शामिल है। इसके अलावा तमाम अन्य लोगों के इस घोटाले में शामिल होने की आशंका है। पुलिस ने धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जिला समाज कल्याण अधिकारी वंदना सिंह की ओर से थाना सदर बाजार में तहरीर देकर बताया गया है कि विधायक डॉ. वीर विक्रम सिंह की ओर से नियम 51 के तहत सूचना मांगी गई थी। जिसके जवाब में समाज कल्याण विभाग की ओर से बताया गया है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी शाहजहांपुर के स्तर से 2025 पेंशनरों के बैंक खाते में परिवर्तन किया गया और 302 पेंशनरों को ब्लॉक किया गया।

इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई, जिसमें संयुक्त निदेशक मुख्यालय अरुण कुमार पांडेय, उप निदेशक बरेली मंडल अजयवीर सिंह यादव, सीनियर ऑडिटर
मुख्यालय नीरज मद्धेशिया शामिल थे। जांच में पाया गया कि कुल 2496 वृद्धावस्था पेंशनरों के खाते में वर्ष 2022-23 में परिवर्तन किया गया।

नाम और बैंक खाते का मिलान 2390 लोगों का नहीं किया गया। कुल दो करोड़ 52 लाख 39 हजार रुपये का घोटाला किया गया। एफआईआर में बताया गया है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी का लॉगिन करने और डोंगल लगाने के बाद ही खाता संशोधन की विंडो खुलती है। इसके बाद खाता संशोधित किया जाता है।

खाता संशोधन के बाद खाता संबंधित डाटा पीएफएमएस पोर्टल पर चला जाता है। पीएफएमएस पोर्टल से रिस्पांस मिलने के बाद दोबारा जिला समाज कल्याण अधिकारी की ओर से पीएफएमएस से प्राप्त रिस्पांस जिसमें नाम और पीएफएमएस अंकित रहता है, उसका मिलान लाभार्थी के नाम से किया जाता है।

दोनों नाम सामान होने की दशा में जिला समाज कल्याण अधिकारी की ओर से रि-वेरीफाई किया जाता है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। समाज कल्याण अधिकारी ने 2496 संशोधित खातों में से 2390 खातों के संशोधन में प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिससे 2390 वास्तविक लाभार्थियों से भिन्न खाता धारकों के बैंक खातों में दो करोड़ 52 लाख 39 हजार रुपये चले गए। जो पैसा पात्र बुजुर्गों को मिलना था चाहिए था वह किसी अन्य के खाते में भेजकर हड़प लिया गया।

घोटाले में चार कंप्यूटर ऑपरेटर की भी भूमिका अहम
जिला समाज कल्याण अधिकारी वंदन सिंह की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे में जांच रिपोर्ट के आधार पर बताया गया कि वृद्धावस्था पेंशन का कार्य कराने के लिए तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार ने अलग से डिजिटल हस्ताक्षर बनवाये थे। यह हस्ताक्षर उन्हीं के पास सुरक्षित थे।

उन्होंने चार प्राइवेट कंप्यूटर आपरेटर विशाल सक्सेना निवासी जिला सीतापुर, सूरज निवासी सीतापुर, साकिब निवासी जिला शाहजहांपुर, खुशाल निवासी जिला शाहजहांपुर से वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित कार्य अपने आवास और कार्यालय पर कराया।

जिला समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय से जारी एक पत्र से पता चला कि राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत कंप्यूटर टेक्निकल का काम कंप्यूटर ऑपरेटर प्रियांशु शर्मा को दिया गया था। 11 अप्रैल 2023 के बाद तीन प्रकरण प्रकाश में आए, जिनमें लाभार्थियों से भिन्न व्यक्तियों का खाता रि-वेरीफाई किया गया है, इस कार्य में प्रियांशु शर्मा की भूमिका घोटाले में शामिल होना दर्शाती है।

कंप्यूटर आपरेटर प्रियांशु को जिला समाज कल्याण अधिकारी ने वृद्धावस्था पेंशन संबंधी पोर्टल का पासवर्ड उपलब्ध कराया था, जिसके बाद उन्होंने लाभार्थी से भिन्न बैंक खाते रि-वेरीफाई किये, जिससे स्पष्ट होता है कि इनकी संलिप्तता घोटाले में रही है। जांच में मुख्य रूप से तीन बिचौया राम औतार निवासी खपरीपुर, सतीश कश्यप निवासी निकरा और पप्पू निवासी पलहौर कांट का नाम भी प्रकाश में आया।

अब सामने आ सकते हैं पर्दे के पीछे के खिलाड़ी
वृद्धावस्था पेंशन घोटाले में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पूरे रैकेट का भंडाफोड़ होने की उम्मीद जगी है। शुरूआत में सिर्फ जिला समाज कल्याण अधिकारी का नाम प्रकाश में आया था, लेकिन बाद में कहा गया कि ढाई करोड़ का बड़ा घोटाला अकेले पूर्व समाज कल्याण अधिकारी और उनके चार कंप्यूटर ऑपरेटर के बस की बात नहीं है।

इसमें पूरा रैकेट शामिल होगा। पेंशन गवाने वाले बुजुर्गों को पूरा न्याय तब तक नहीं मिलेगा जब तक पूरे रैकेट का भंडाफोड़ न हो जाए। इसके लिए एफआईआर जरूरी मानी जा रही थी। कहा जा रहा था कि अगर पूरे रैकेट को सजा देनी है तो एफआईआर दर्ज होना जरूरी है।

सदर थाने में दर्ज कराए मुकदमे में समाज कल्याण अधिकारी वंदना सिंह ने भी यही आशंका जताई कि घोटाले में शामिल रैकेट बड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि घोटाले की साजिश में तमाम अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। पर्दे के पीछे के खिलाड़ियों तक जांच अधिकारी शायद नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस संगठित गिरोह का पर्दाफाश कर उनके विरुद्ध आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई की जानी जरूरी है।

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