बरेली: लगातार बारिश से उफनाई नदियों ने शुरू की तबाही, किसानों की फसलें नदी में समाईं

बरेली/मीरगंज/ शेरगढ़, अमृत विचार। चार दिन से लगातार बारिश के बाद जिले में रामगंगा, बहगुल और किच्छा नदियों के उफनाए पानी ने आसपास के तमाम गांवों में तबाही मचानी शुरू कर दी है। शेरगढ़ और शाही में किच्छा नदी के पानी में न सिर्फ सैकड़ों एकड़ फसलें डूब गई हैं बल्कि कई खेत भी नदी में समा गए हैं। रामगंगा ने भी 160 मीटर का स्तर पार करने का बाद तांडव शुरू कर दिया है।
मीरगंज के गांव गोरा लोकनाथपुर पुल की अप्रोच रोड रविवार को पानी में बह गई। हालात खराब होने के बाद बाढ़ चौकियों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है। बाढ़ खंड के अधिकारियों ने भी रविवार शाम रामगंगा से सटे इलाकों का दौरा कर हालात का जायजा लिया।
कालागढ़ डैम से निकलने वाली जिले की सबसे बड़ी नदी रामगंगा में किच्छा, बहगुल और कोसी नदी मिलने के कारण बारिश में हर साल रामगंगा में उफान आता है और इसकी बाढ़ से आसपास बसे जिले के तीन सौ से ज्यादा गांव प्रभावित होते हैं। इस बार भी इनमें से ज्यादातर गांवों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। इन गांवों को बाढ़ से बचाने के लिए रामगंगा नदी किनारे गौटिया मोहर सिंह और भगवानपुर से रुकमपुर तक तटबंध बनाया गया है। फिर भी कई गांवों में कटान हो रहा है।
एक्सईएन रालेंद्र कुमार ने बताया कि रामगंगा और दूसरी नदियों का जलस्तर बढ़ने के बाद निगरानी तेज कर दी गई है। सभी बाढ़ चौकियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उन्होंने बताया कि रामगंगा नदी का डिस्चार्ज 1.25 लाख क्यूसेक से ज्यादा होने पर जिले में बाढ़ के हालात पैदा होते हैं। रविवार शाम को रामगंगा का जलस्तर 160.240 मीटर रिकॉर्ड किया गया।
किच्छा नदी के बहाव में फसलों समेत बह गए कई बीघा खेत
उफनाई किच्छा नदी ने इलाके में कटान शुरू कर दिया है। रमपुरा, नगरिया कला समेत करीब एक दर्जन गांवों में कई बीघा खेत गन्ना, धान की फसलों के साथ नदी में समा गए हैं। नगरिया कलां की श्मशान भूमि भी नदी में समा गई है। अफसरों के मुताबिक शनिवार को 20 हजार क्यूसेक पानी किच्छा नदी में नैनीताल और रामनगर की कोसी नदी से पहुंचा था।
इससे जलस्तर बढ़ा तो नदी के तटवर्ती गांव रजपुरा, मोहम्मदपुर, बरीपुरा, कस्बापुर, कमालपुर, लखीमपुर, मीरपुर, बैरमनगर, डूंगरपुर देहात, कबरा किशनपुर, नगरिया कलां और धर्मपुरा में तबाही शुरू हो गई। इन गांवों के किसान मिढ़ई लाल गंगवार, हरीपाल श्रीवास्तव, अशोक कुमार, ठाकुर दास गंगवार ने बताया कि उनके खेत फसलों के साथ उनकी आंखों के सामने नदी में समा गए हैं। सैकड़ों किसान ऐसे भी हैं जिनके खेतों में पानी भर गया है। पीड़ित किसानों ने मुआवजे की मांग की है। एक्सईएन राजेंद्र कुमार ने बताया कि मौके पर हालात का लगातार जायजा लिया जा रहा है।
हमारा करीब आधा बीघा खेत किच्छा नदी के पानी में बह गया है। उसमें धान और गन्ना की फसल खड़ी थी। अगर कटान इसी तरह होता रहा तो बहुत दिक्कत होगी। हमारे गांव के किसानों का जमीन के अलावा कोई सहारा नहीं है। - राजपाल गंगवार, कबरा किशनपुर
चार दिन से बारिश हो रही है लेकिन कोई सावधान करने नहीं आया कि इतना पानी आ जाएगा। अगर पता होता तो कुछ बचाव के इंतजाम किए जाते। हजारों की लागत और मेहनत से खेत तैयार किया था जो किच्छा नदी में बह गया। लाखों का नुकसान हुआ है। - हीरेंद्र गंगवार, कबरा किशनपुर
खेत में गन्ना लगाया था। पहले खेत पानी मे डूब गया। रविवार को अचानक जब किच्छा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा तो खेत की जमीन कटकर बह गई। लाखों का नुकसान हो गया। अगर सरकार से कोई मदद मिली तो ठीक है वरना क्या करेंगे। - नबी हसन, नगरिया कलां
किसानों का आरोप- प्रशासन के अलर्ट न करने से हुआ ज्यादा नुकसान, कागजों में भरपूर हैं बाढ़ से बचाव के इंतजाम
जिन किसानों के खेत किच्छा नदी में बह गए, उनके परिवारों में मातम का माहौल है। ज्यादातर किसानों का आरोप है कि प्रशासन या बाढ़ विभाग की ओर से कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया कि नदी में अचानक इतना पानी आ जाएगा। वे लोग निश्चिंत थे, इसी कारण ज्यादा नुकसान हो गया। उधर, बाढ़ नियंत्रण विभाग का दावा है कि बाढ़ नियंत्रण के लिए जिले में 50 चौकियां बनाने के साथ 28 राहत केंद्र स्थापित किए गए हैं। 148 नावों के साथ 60 गोताखोरों का भी इंतजाम किया गया है। इसके अलावा दो-दो हजार ईसी बैग और नायलॉन क्रेट और 50 सेट परक्यूपाईन रिजर्व में है।
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