हिमाचल प्रदेश: पलों की त्रासदियां दे गई कभी न भरने वाले जख्म, उबरना आसान नहीं

हिमाचल प्रदेश: पलों की त्रासदियां दे गई कभी न भरने वाले जख्म, उबरना आसान नहीं

शिमला। हिमाचल को जो जख्म इस बार सावन दे गया है उसे भरने में सालों लग जाएंगे। प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में त्रासदियां आईं और सैंकड़ों लोगों की जिंदगियां लील गई। कहने को तो ये त्रासदियां पल भर के लिए आईं लेकिन इन्होंने हिमाचल को कभी न भरने वाले जख्म दिए हैं। जिस, तरह की आपदा हिमाचल ने इस बार झेली है उससे उबरना हिमाचल के लिए आसान नहीं रहने वाला।

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प्रदेश में आमतौर पर मानसून किसानों-बागवानों के लिए राहत और उम्मीदों की बारिश लाने वाला रहता है। वहीं इस बार मानसून लोगों के लिए तबाही और डर लाया है। कहने को तो त्रासदी पल भर में आई, कहर ढाया और गुजर गई. लेकिन वो कुछ पल सैंकड़ों लोगों को मौत की नींद सुला गए, हजारों लोगों को बेघर कर गए और हजारों लोगों को मजबूर कर गए अपने सामने भविष्य के सपनों के ताने-बानों को बुनते हुए अपनी जीवनभर की कमाई से बनाए घरों को खाली करके राहत शिविरों में रहने को।

अगर हिमाचल में इस मानसून में आई विपदा की बात करें तो ये कोई सामान्य मानसून से हुई तबाही नहीं थी। हिमाचल ने शताब्दी बाद ऐसी तबाही देखी। हर तरफ दरकते पहा़ड़, धंसती जमीन, टूटती सड़के, बहते पुल, ताश के पत्तों की तरह ढहती इमारतें और अपने सामने जिंदा दफन होते लोगों को देख एक वक्त में हिमाचल दहल गया था। छोटा सा पहाड़ी राज्य एक वक्त में ऐसा लगा कि इतनी बड़ी आपदा से कैसे निपट सकेगा, कैसे संभल सकेगा।

लेकिन कहते है न वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है। धीरे धीरे ही सही हिमाचल का जनजीवन पटरी पर लौटने लगा है लेकिन इस आपदा के जख्म इतनी जल्दी भुलाए नहीं जा सकेंगे। गौरतलब है कि हिमाचल में तबाही का बड़ा मंजर सात से 13 जुलाई के बीच कुल्लू-मनाली व मंडी में देखने को मिला। फिर लगा अब तबाही का दौर थम गया है लेकिन फिर उसके बाद एक बार फिर से शिमला में शिव बावड़ी की भूस्खलन की घटना ने सबको झकझोर दिया।

इस घटना में 11 दिन तक बचाव अभियान चलाया गया और 11वें दिन सभी 20 शवों को बामुश्किल बरामद किया जा सका। प्रदेश में तबाही में जनता के लिए देवदूत बनकर सामने आए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, सेना व वायु सेना के जवान जिन्होंने तमाम विपरित परिस्थितियों में न केवल फंसे हुए लोगों को बचाया बल्कि जरूरतमंद लोगों तक राशन, दवाईयां व अन्य जरूरत का सामान भी पंहुचाया।

अगर बात करें कि इस आपदा के बाद हिमाचल ने क्या खोया तो उसका आंकलन तो लगातार राजस्व विभाग सहित तमाम विभाग कर ही रहे हैं लेकिन दरकते, खिसकते, धंसते, टूटते हिमाचल ने बहुत जल्दी संभलना शुरू कर दिया है। लेकिन एक बात जरूर है कि इस आपदा के कारण हिमाचल को हर कदम पर एक शुरूआत करनी होगी, जो बहुत आसान नहीं कही जा सकेगी। क्योंकि हिमाचल को ये शुरूआत कई साल पीछे से करनी होगी।

हिमाचल में इस बार की भीषण आपदा की बात करें तो इस बार आपदा और भारी बारिश के कारण प्रदेश को हजारों करोड़ों की चपत लग चुकी है और नुकसान में बढ़तोरी का क्रम लगातार जारी है। अगर राजस्व विभाग के आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश को इस समय तक विभिन्न मदों में लगभग 8663 करोड़ का नुकसान हो गया है।

वहीं बात करें मानवीय जीवन की तो इस बार मानसून में 397 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है जबकि सिर्फ भूस्खलन की घटनाओं में 110 लोगों की जानें गई हैं और इनमें से भी अकेले शिमला में ही 51 लोगों की मौत विभिन्न भूस्खलन की घटनाओं में हुई है। अभी तक 370 के करीब लोग जख्मी भी हुए हैं। हिमाचल में इस बार आई आफत की बारिश कई पुलों व सड़कों को भारी नुकसान पंहुचा गई है।

लोक निर्माण विभाग के आंक़ड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि ये वो विभाग हो जिसको इस मानसून ने बहुत ज्यादा नुकसान पंहुाचाया है। पहाड़ों में एक गांव से दूसरे गांव, एक नदी को पार कर दूसरी तरफ जाना हो या एक शहर से दूसरे शहर पंहुचना हो इसी विभाग के अधीन आने वाली सड़कों व पुलों से हमारा वो सफर आसान होता था लेकिन इस बार के मानसून ने प्रदेश के 97 पुलों को भारी क्षति पंहुचाई है जबकि 15 पुल पूरी तरह ढह गए।

इसी बीच प्रदेश में अभी भी 181 सड़कें पूरी तरह बंद पड़ी है जिसकी बहाली के लिए विभाग दिन-रात काम कर रहा है। इनमें लोक निमार्ण विभाग के मंडी जोन की सबसे ज्यादा 77, शिमला जोन की 40, हमीरपुर जोन की 35 व कांगड़ा जोन की सबसे कम 26 सड़कें शामिल हैं। इन सड़कों की बहाली के लिए विभाग ने जेसीबी, टिप्पर सहित 900 से अधिक मशीनरी लगाई हुई है।

प्रदेश में मानसून के दौरान भूस्खलन, बाढ़ व भारी बारिश के कारण जलशक्ति विभाग को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। इस विभाग को अब तक 2118 करोड़ का भारी नुकसान पंहुच चुका है। आपदा के दौरान पूरे प्रदेश में विभाग के 5406 हैंडपंपों के साथ पानी की 19,537 परियोजनाएं क्षतिग्रस्त हुई। इनमें 11,056 पेयजल परियोजनाएं हैं, जिनमें से फिलहाल 11,033 को अस्थाई तौर पर बहाल कर दिया गया है जबकि 26 परियोजनाएं अभी भी बंद पड़ी हैं। पीने के पानी की परियोजनाएं के इतने बड़े स्तर पर प्रभावित होने से अधिकतर स्थानों पर पीने के पानी की राशनिंग चली हुई है।

सिंचाई की 2688, फ्लड कंट्रोल की 218 और सीवरेज की 169 परियोजनाएं भी क्षतिग्रस्त हुई है। भारी बारिश ने इस सीजन में बिजली बोर्ड को भी करीब 1740 करोड़, कृषि को करीब 357 करोड़ और बागवानी को करीब 173 करोड़ का नुकसान हुआ है। ग्रामीण विकास विभाग को 369 करोड़, शिक्षा विभाग को 118 को नुकसान हुआ है। स्वास्थ्य विभाग को 44 करोड़ और मत्स्य पालन विभाग को 13.91 करोड़ और अन्य विभागों को 121 करोड़ की क्षति पहुंचाई है।

इस सीजन में बड़ी संख्या में मकान भी भूस्खलन और बाढ़ की चपेट में आए हैं। प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में 13,389 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 2545 मकान पूरी तरह से. जबकि 10844 घरों को आंशिक क्षति पहुंची हैं। प्रदेश में 316 दुकानें और 5,637 गौशालाएं भी भूस्खलन व बाढ़ की चपेट में आईं हैं।

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