बरेली: मिनी एमआरएफसी सेंटर बनकर पड़े हैं बेकार, अतिक्रमण और चोरी से हो रहा नुकसान

बरेली, अमृत विचार: एक साल पहले करीब 1.20 करोड़ रुपये की लागत से नगर निगम के मिनी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफसी) सेंटर की स्थापना की थी। अभी तक किसी भी जगह शुरू न होने के कारण खुद ही कूडा होने गले हैं। लावारिश होने के कारण कई जगहों पर अतिक्रमण के शिकार हो रहे है और इनके सामान भी चोरी हो गए है।
स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 के लिए केंद्रीय टीम इन दिनों विभिन्न वार्डों में पहुंच कर जमीनी हकीकत जानने में जुटी है। नगर निगम ने भी बेहतर अंक पाने के लिए खूब बजट खर्च किया है। ताकि लोग जागरूक हों और आधुनिक तरीके से कूड़ा निस्तारण हो सके। अप्रैल 2024 में शहर में करीब 40 जगहों पर 1.20 करोड़ रुपये की लागत से लोहे के कंटेनर के रूप में 40 मिनी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर स्थापित किए गए थे।
इन्हें सूखे कूड़े से प्लास्टिक, धातुओं को अलग करने के लिए बनाया गया था, मगर अभी तक ये सेंटर शुरू नहीं हो सके हैं। देखरेख के अभाव में यह खुद कूड़ा होते जा रहे हैं। इनके बाहर कूड़े के ढेर होने से लोग दुर्गंध से परेशान हैं।
एक लोहे के कंटेनर की कीमत करीब 2.30 लाख रुपये है। विभिन्न वार्डों में इन्हें भेज कर नगर निगम ने अपनी जिम्मेदारी पूरी मानर ली है। हालत यह है कि कुछ जगहों पर एमआरएफसी अतिक्रमण का भी शिकार हैं। पीलीभीत बाइपास रोड पर संजय नगर के पास इसके चारों तरफ मिट्टी भर दी गई है।
जबकि विश्वविद्यालय और सेटेलाइट के बीच में पांच जगहों पर कंटेनर खाली पड़े हैं। वहीं खुर्रम गौटियां मार्ग और शिकारपुर चौधरी में अतिक्रमण कर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। इसी तरह स्टेडियम रोड, सौ फुटा आदि जगहों पर बेकार पड़े हैं।
शुरू न होने से जैसे-तैसे बाकरगंज पहुंचता है कूड़ा
मिनी मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी शुरू न होने के कारण यहां पर कूड़ा स्टोर हो रहा है। इस वजह से गीला और सूखा कूड़ा सड़कों पर गिराते हुए नगर निगम के वाहन बाकरगंज जाते हैं। इन सेंटरों की स्थापना के पीछे मंशा थी कि कूड़ा अलग-अलग कर भेजा जाना है। इन सेंटरों पर में बिजली कनेक्शन कराए जाने थे, लेकिन अभी तक नहीं हो सके। कुछ जगहों पर इनकी लाइटें भी गायब हो गईं।
108 कबाड़ खरीदने और 550 कूड़ा बीनने वाले चिन्हित
नगर निगम ने मेटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर स्थापित करने के बाद सूखे कचरा को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर उपयोगी और गैर उपयोगी सामानों को अलग-अलग करने की प्लानिंग की थी। इसके लिए कबाड़ व्यापारियों का सहयोग लेने की योजना थी। इस कार्य के लिए 108 कबाड़ खरीदने वाले, 550 कूड़ा बीनने वालों को चिन्हित किया था।
इंसेट
450 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है
80 वार्डों से करीब 450 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदन निकलता है। इसमें 60 प्रतिशत यानि 80 मीट्रिक टन बायोलॉजिकल अपशिष्ट होता है। 40 प्रतिशत सूखा यानी करीब 40 मीट्रिक टन कचरा होता है। वर्तमान समय में सूखा कचरा को जहां-तहां फेंक दिया जाता है। इस सेंटर के खुलने के बाद इस तरह की समस्या से निजात मिल जाती।
मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी शुरू है। पर छोटे कंटेनर वाले रिकवरी शुरू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए गए है। इसे जल्द शुरू कराया जाएगा- संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त
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