मराठा कोटा हिंसा पर राकांपा नेता अनिल देशमुख का दावा- लाठीचार्ज करने का आदेश राज्य के गृह विभाग से आया था

नागपुर। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने सोमवार को दावा किया कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर जालना जिले में पुलिस ने महाराष्ट्र के गृह विभाग से फोन आने के बाद लाठीचार्ज किया था। राज्य के पूर्व गृह मंत्री ने यह पता लगाने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है कि किसने जालना पुलिस अधीक्षक को फोन किया और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया था।
जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में शुक्रवार को पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों को कथित तौर पर अस्पताल नहीं ले जाने दिया था, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की। हिंसा में 40 पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हो गए और राज्य परिवहन की 15 बसें आग के हवाले कर दी गईं।
राकांपा संस्थापक शरद पवार के विश्वस्त माने जाने वाले देशमुख ने कहा कि पिछले हफ्ते प्रर्दशनकारियों पर की गई ‘अमानवीय’ पुलिस कार्रवाई ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ है। देशमुख ने नागपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं महाराष्ट्र का गृह मंत्री रह चुका हूं। मेरी जानकारी के मुताबिक, (जालना जिले में) मराठा प्रदर्शनकारियों पर गृह विभाग के फोन करने के बाद लाठीचार्ज किया गया। पुलिस अधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों से आदेश मिले बगैर इस तरह की कार्रवाई नहीं कर सकते।’’
उन्होंने कहा कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराये जाने पर फोन करने वाले की जिम्मेदारी तय होगी। गृह विभाग, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास है, जो भाजपा नेता हैं। देशमुख ने कहा कि पुलिस कार्रवाई के चलते एक बड़ा विवाद पैदा हो जाने के बाद जालना के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बलि का बकरा बनाया गया और जबरन अवकाश पर भेज दिया गया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक दिन पहले यह घोषणा की थी कि जालना के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी को अनिवार्य अवकाश पर भेजा गया है और अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी), कानून व्यवस्था संजय सक्सेना लाठीचार्ज घटना की जांच करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर न्यायिक जांच कराई जाएगी।
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