हर मौसम में साथी बदलने की क्रूर अवधारणा स्थिर और स्वस्थ समाज की पहचान नहीं, लिव इन रिलेशनशिप पर बोला हाईकोर्ट

हर मौसम में साथी बदलने की क्रूर अवधारणा स्थिर और स्वस्थ समाज की पहचान नहीं, लिव इन रिलेशनशिप पर बोला हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के मामले में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि भारत में विवाह की संस्था को नष्ट करने के लिए एक व्यवस्थित डिजाइन कम कर रहा है, जिसमें फ़िल्में और टीवी धारावाहिक योगदान दे रहे हैं। हर मौसम में साथी बदलने की क्रूर अवधारणा को स्थिर और स्वस्थ समाज की पहचान नहीं माना जा सकता है।

कोर्ट ने अपनी विशेष टिप्पणी में इस बात पर जोर दिया कि विवाह संस्था किसी व्यक्ति को जो सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है, उसकी उम्मीद लिव इन रिलेशनशिप से नहीं की जा सकती है। उपरोक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकलपीठ ने अपनी लिव इन पार्टनर से दुष्कर्म करने के आरोपी अदनान को सशर्त जमानत देते हुए की। कोर्ट ने कहा कि ऐसे रिश्ते से बाहर आने वाली महिला को सामान्य व्यक्ति नहीं माना जाता है। 

अपवाद के अलावा कोई भी परिवार स्वेच्छा से ऐसी महिला को अपने परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करता है। अदालत में ऐसे मामलों की कोई कमी नहीं है, जहां लिव इन रिलेशनशिप से बाहर आई महिला ने सामाजिक दुर्व्यवहार के कारण आत्महत्या न कर ली हो। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से बताया कि सामाजिक बहिष्कार से लेकर अशोभनीय टिप्पणियां रिलेशनशिप के बाद की प्रक्रिया का हिस्सा बन जाती है। 

पुरुष समकक्ष के लिए दूसरी महिला लिविंग पार्टनर या पत्नी ढूंढना मुश्किल नहीं है, लेकिन एक स्त्री के लिए पुरुष साथी ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे रिश्ते से पैदा होने वाले बच्चों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब उनके माता-पिता अलग हो जाते हैं, तो वह समाज पर बोझ बन जाते हैं। 

राष्ट्र अपने संभावित अच्छे नागरिकों को खो देता है। अंत में कोर्ट ने अपनी लिव इन पार्टनर को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने वाले अभियुक्त को व्यक्तिगत बॉण्ड और समान राशि के दो जमानतदारों को प्रस्तुत करने की शर्त पर जमानत दे दी। गौरतलब है कि अभियुक्त ने 19 वर्षीया पीड़िता से दोस्ती की। एक साल तक दोनों लिव इन रिलेशनशिप में रहे और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाया। 

जब पीड़िता गर्भवती हो गई तो अभियुक्त ने शादी करने से इनकार कर दिया। 18 अप्रैल 2023 को अपने वादे से मुकरने के आरोप में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तर्कों के अनुसार पीड़ित लड़की ने आवेदक के साथ विवाह के सुरक्षित रिश्ते में प्रवेश करने के लिए व्यर्थ प्रयास के रूप में सहारनपुर के पुलिस स्टेशन देवबंद में आईपीसी एवं पोक्सो अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई। 

कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अंत में कहा कि ऐसे रिश्ते बहुत आकर्षक लगते हैं और युवाओं को लुभाते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है। मध्यम वर्गीय सामाजिक नैतिकता नजर आने लगती है और जोड़ों को एहसास हो जाता है कि उन्हें सामाजिक स्वीकृति कभी नहीं मिलेगी। अतः उनका यह रिश्ता जीवन भर जारी नहीं रह सकता है।

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