बरेली: नगर आयुक्त ने सात दिन में मांगी थी जांच रिपोर्ट, 68 दिन बाद भी तैयार नहीं
स्वकर फार्म भरवा कर वक्फ संपत्ति को दूसरे के नाम कर दिया गया
बरेली, अमृत विचार। स्वकर फार्म भरवाकर वक्फ संपत्ति का नामांतरण कर दिया गया। 450 गज के प्लाट को 1500 गज का बताकर उस पर करोड़ों का टैक्स बना दिया। जब प्रकरण नगर आयुक्त के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच समिति बनवाकर सात दिन में रिपोर्ट देने को आदेश दिया लेकिन अफसरों की समिति एक मामले में 68 तो दूसरे में 23 दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं दी है।
सिविल लाइंस निवासी बरकत नबी ने बताया कि नगर निगम में जोन -2 में तैनात रहे टैक्स विभाग के अफसरों ने वफ्फ की संपत्ति का नामांतरण स्वकर फार्म भरवाकर ही कर डाला। भवन संख्या 917-917/2/918/109 प्रापर्टी नंबर 7916435 सिविल लाइंस बरेली की वक्फ संपत्ति है, जो निगम के रिकार्ड में 1944 से दर्ज है। इसका नंबर 86 एक्स सेकेंड है। वक्फ बोर्ड ने बरकत नबी को मुतवल्ली नियुक्त किया है। बरकत ने बताया कि निगम के जोन- 2 के अफसर कर्मचारियों ने मिलकर कोरोना काल में बिना किसी आधार के उक्त मकान नंबर को युसुफ जमाल पुत्र स्व. जमाल अख्तर अजीज के नाम दर्ज कर लिया है। जो वक्फ संपत्ति को खुर्द बुर्द करने की साजिश है।
निगम से कोई राहत नहीं मिलने पर उन्होंने कमिश्नर और एसएसपी को भी पत्र भेजा तो कोतवाली पुलिस ने मामले की जांच की और अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि प्रकरण की जांच मुख्य कर निर्धारण अधिकारी कर रहे हैं। सीटीओ की प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि जिस स्वकर फार्म के जरिए संपत्ति का नामांतरण किया गया है उसकी फाइल नहीं मिल रही है। जांच रिपोर्ट में यह दर्ज है कि जोन-2 के लिपिक विपिन कुमार, जया शर्मा, पूर्व वार्ड लिपिक, रामजीत, पवन कुमार समय-समय पर तैनात रहे हैं। सीटीओ ने उक्त कर्मचारियों को पत्रावली उपलब्ध कराने का आदेश दिया तो सभी ने कहा है कि जब जब उन्होंने जोन का चार्ज लिया तो पत्रावली उन्हें अभिलेख में नहीं दी गई है।
जब कंप्यूटर पर अपलोड पत्रावली की पीडीएफ का प्रिंट निकालकर देखा गया तो टीसी आदर्श शर्मा, कर अधीक्षक आरपी सिंह और कर निर्धारण अधिकारी व जोनल अधिकारी जोन-2 ललतेश सक्सेना के ही हस्ताक्षर हैं। इनमें से टीसी का निधन हो चुका है। कर अधीक्षक आरपी सिंह मौजूदा समय गाजियाबाद नगर निगम में तैनात हैं। इस फाइल में कहीं भी संबंधित क्षेत्र के लिपिक के हस्ताक्षर नहीं है। मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए नगर आयुक्त के निर्देश पर 20 मई को चार सदस्यीय समिति गठित हुई। समिति से एक सप्ताह में जांच आख्या मांगी थी, लेकिन 27 जुलाई तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।
450 गज के प्लाट को 1500 गज का दिखाकर लगा दिया टैक्स, जांच पूरी नहीं
फाईक एन्क्लेव के राम अवतार आहूजा ने 4 जुलाई को संभव दिवस में टैक्स अफसरों की मनमानी का जिक्र करते हुए बताया था कि अफसरों ने 450 गज के प्लाट को 1500 गज का बताकर उस पर 19 मंजिला भवन दर्शाकर टैक्स लगा दिया जो अब करोड़ों का हो गया है। इस मामले में भी कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने को कहा गया था। 23 दिन बाद मामले की रिपोर्ट भी नगर आयुक्त तक नहीं पहुंची है।
तारांकित मामले भी अफसरों ने ठंडे बस्ते में डाले
सिविल लाइंस के जेल रोड निवासी पंकज चौधरी ने कर निर्धारण अधिकारी ललतेश सक्सेना, पूर्व कर अधीक्षक आरपी सिंह, बाबू रघुनाथ, टीसी राजेन्द्र सिंह पर नगर निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने का आरोप लगाते हुए करोड़ों के बिल को लाखों में तब्दील करने की शिकायत की थी। इसके अलावा 14 मामलों की जांच को तारांकित करते हुए 1 मई को अफसरों से जांच रिपोर्ट मांगी लेकिन इनमें से भी किसी की जांच रिपोर्ट 27 जुलाई तक नगर आयुक्त को नहीं मिली है।
वक्फ संपत्ति के मामले में एक रिपोर्ट अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी से मांगी गई है। वह अभी तक नहीं आई हैं। इसलिए रिपोर्ट तैयार नहीं हो पा रही है। 450 गज प्लाट के मामले की जांच कमेटी ने बताया है कि रिपोर्ट तैयार है। यह रिपोर्ट एक दो दिन में मिल जाएगी-सर्वेश गुप्ता, अपर नगर आयुक्त।
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