प्रयागराज : सेवा नियमितिकरण में हुई देरी नहीं बन सकती पुरानी पेंशन में बाधक

प्रयागराज : सेवा नियमितिकरण में हुई देरी नहीं बन सकती पुरानी पेंशन में बाधक

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरानी पेंशन से वंचित कर्मचारियों को  राहत देते हुए कहा कि विभागीय उदासीनता के कारण देर से नियमित हुए कर्मचारी को पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। विभागीय उदासीनता के कारण कर्मचारी की सेवाओं के नियमितिकरण में देरी को आधार बना कर उन पर नई पेंशन योजना थोपी नहीं जा सकती, और कर्मचारी को पुरानी पेंशन योजना का लाभ न देना अवैधानिक ही नहीं मनमाना भी है।

यह फैसला न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की एकलपीठ ने याची अवधेश कुमार श्रीवास्तव द्वारा सेवा के नियमितिकरण में हुई देरी के कारण पुरानी पेंशन का लाभ न देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया। याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सिंचाई विभाग, मिर्जापुर के अधिशासी अभियंता द्वारा पारित आदेश को रद्द करते हुए आदेश दिया कि याची द्वारा दैनिक वेतन भोगी के रूप में निरंतर दी गई सेवाओं को जोड़ते हुए उसे तीन महीने में पुरानी पेंशन का लाभ प्रदान किया जाए और नई पेंशन योजना के तहत विभाग से प्राप्त कर्मचारी अंशदायी निधि की राशि को याची वापस जमा करे। कोर्ट में याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि याची की नियुक्ति सिंचाई विभाग में गेज रीडर के पद पर दैनिक वेतन भोगी के रूप में वर्ष 1989 में हुई थी।

24 जुलाई 1997 को प्रोन्नति कोटे के रिक्त पद पर नियुक्ति के लिए उन दैनिक वेतन भोगियों की सूची जारी की गई थी, जिन्होंने 240 दिन की सेवा पूर्ण कर ली थी। विभाग द्वारा जारी उस सूची में पहले स्थान पर रहे याची को उसी पद पर वर्कचार्ज पर प्रोन्नत कर दिया गया। संतोषजनक सेवाओं के साथ निरंतर कार्यरत याची की सेवा को वर्ष 2011 में नियमित किया गया। वर्ष 2022 में रिटायर हाेने पर याची को पुरानी पेंशन के स्थान पर नई पेंशन का लाभ प्रदान किया गया।

याची ने पुरानी पेंशन योजना का दावा किया तो अधिशासी अभियंता ने यह कहते हुए लाभ देने से इन्कार कर दिया कि याची की सेवाएं अप्रैल 2005 के बाद नियमित हुई हैं। अतः उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल सकता। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि विभाग को 21 वर्ष की निरंतर सेवा देने के बाद भी विभागीय अधिकारियों की असंवेदनशीलता और उदासीनता के चलते याची के नियमितिकरण में देरी हुई। अंत में कोर्ट ने अधिशासी अभियंता द्वारा पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से इन्कार करने वाले 31 मई 2022 के आदेश को रद्द कर दिया।

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