बरेली: पांच साल में वन्यजीवों के रेस्क्यू पर वन विभाग ने बहाया लाखों रुपया

बरेली: पांच साल में वन्यजीवों के रेस्क्यू पर वन विभाग ने बहाया लाखों रुपया

बरेली, अमृत विचार। बरेली में यूं तो वन क्षेत्र महज 0.01 प्रतिशत है लेकिन जंगल से भटककर वन्यजीवों अक्सर यहां आते रहते हैं, इन्हें रेस्क्यू करने के लिए भी काफी पैसा वन विभाग ने पानी की तरह बहाया। इसकी बड़ी वजह बरेली में विशेषज्ञों की टीम नहीं होना है। तेंदुआ, बाघ, हाथी आदि के रेस्क्यू के लिए बाहर से टीम बुलाई जाती है। जिसमें विशेषज्ञों के अलावा कई दर्जन स्टाफ होता है।

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से 2023 तक सात रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गए, इनमें आठ वन्यजीवों को रेस्क्यू किया गया। हाथी, बाघ, बाघिन, तेंदुआ, भालू आदि वन्यजीवों को पिछले पांच साल में रेस्क्यू किया गया है। इनमें सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन रबर फैक्ट्री में चला, जिसमें वन विभाग ने 50 लाख रुपये से ज्यादा फूंक दिए थे।

रबर फैक्ट्री में छिपकर बैठी बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए करीब 40 कैमरे लगाए गए थे। तब जाकर डेढ़ साल बाद बाघिन वन विभाग के कब्जे में आई थी। बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए पीलीभीत टाइगर रिजर्व से लेकर कानपुर जू तक से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई थी। कई महीने चले इस ऑपरेशन को कई बार बीच में छोड़कर टीम को वापस जाना पड़ा था। इसमें विभाग का खूब पैसा खर्च हुआ। इस दौरान वन विभाग की सुस्त कार्रवाई पर सवाल उठे थे।

ये चलाए सात बड़े ऑपरेशन
साल 2018-19 में मीरगंज रेंज से बाघ को रेस्क्यू कर कानपुर जू भेजा गया। 2019-20 में बहेड़ी रेंज से दो जंगली हाथियों को रेस्क्यू कर नेपाल बॉर्डर स्थित शुक्ला फांटा नेशनल पार्क भेजा गया था। 2020-21 में बहेड़ी रेंज से एक तेंदुआ को रेस्क्यू कर बिजनौर की अमानगढ़ रेंज भेजा गया। 2021-22 में मीरगंज रेंज से बाघिन को रेस्क्यू कर दुधवा टाइगर रिजर्व भेजा गया। 2021-22 में बरेली रेंज से एक तेंदुआ रेस्क्यू कर कानपुर जू भेजा गया। 2022-23 में फरीदपुर रेंज से भालू को रेस्क्यू कर पीलीभीत टाइगर रिजर्व भेजा गया। 2023-24 में अब तक एक तेंदुआ बहेड़ी रेंज से रेस्क्यू कर बिजनौर की अमानगढ़ रेंज भेजा जा चुका है।

सांप पकड़ने को भी नहीं है टीम
वन विभाग के पास सांप पकड़ने के लिए भी कोई विशेष टीम नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सर्प मित्रों की मदद से सांप पकड़े जाते हैं। सांप निकलने पर संबंधित रेंज या प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है। इसके बाद वनकर्मी सर्प मित्रों की मदद से सांप को रेस्क्यू करते हैं। इसके लिए कुछ सर्प मित्र विभाग के संपर्क में रहते हैं।

पिछले पांच साल में सात ऑपरेशन चलाकर आठ वन्यजीवों को रेस्क्यू किया गया है। रेस्क्यू करने के बाद इन्हें अलग-अलग वन क्षेत्रों में भेजा गया है। वन्यजीवों के रेस्क्यू करने के लिए बाहर से टीमें आती हैं। वन विभाग के कर्मचारी टीम के सहयोग में रहते हैं। - समीर कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी

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