मुक्तेश्वर: IVRI के वैज्ञानिकों ने कृषकों से साझा की औषधीय पौधों और पशुपालन की नवीनतम तकनीक

मुक्तेश्वर, अमृत विचार। आईवीआरआई मुक्तेश्वर द्वारा भारत सरकार के अंतर्गत चलाये जा रहे अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत वैज्ञानिक-प्रसार अधिकारी- कृषक चर्चा का आयोजन किया गया। इसके साथ ही किसानों को हिमालयी क्षेत्र के औषधीय पौधों के उत्पादन का विधि प्रदर्शन भी किया गया। इस कार्यक्रम में दाड़िमा तथा चौसाली गांव (रामगढ ब्लाक, जिला-नैनीताल) के लगभग 100 किसानों ने प्रतिभाग किया।
इस कार्यक्रम में डा. अमोल ने हिमालयी क्षेत्र के औषधीय पौधों के विभिन्न गुणों तथा उपयोगों के बारे में किसानो को जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने गौवंशीय पशुओं में होने वाली लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में किसानो से चर्चा की। डा. निधि शर्मा ने हिमालयी क्षेत्र के पशुधन की खाद्य सुरक्षा हेतु कृषि-वानिकी प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस परियोजना के अंतर्गत किसानों की आजीविका बढ़ाने हेतु प्रत्येक कृषक को पशुपालन और कृषि सम्बंधित सामग्रियां जैसे सब्जियों (धनिया, मेथी, पालक, मूली) के उच्च गुणवत्ता वाले बीज, कृषि उपकरण (दराती एवं फल कैंची), पशुओं का दाना, पशुओं सम्बंधित दवाएं एवं सप्लीमेन्ट (कृमि नाशक, ट्रेस मिनरल) वितरित किये गए। डॉ दीपिका बिष्ट ने वैज्ञानिक-प्रसार अधिकारी- कृषक चर्चा कार्यक्रम का समन्वयन किया। इस दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. करम चंद नेगी, एवं डा. नितीश सिंह खड़ायत सहित तमाम कृषक-पशुपालक एवं वैज्ञानिक उपस्थित रहे।